शत्रुघ्न सिन्हा ने ट्वीट कर कहा- यह सही वक्त है, जब आदरणीय प्रधानमंत्री और इस डेमोक्रेसी के हेड सामने आएं। जनता और मीडिया के सवालों का सामना करें। उम्मीद है कि हमारे पीएम दिखाएंगे कि वे देश भर के मिडिल क्लास, कारोबारियों और छोटे व्यापारियों का ख्याल रखते हैं। गुरुवार को शत्रुघ्न ने कहा था कि सरकार को पॉलिसी और इकोनॉमी पर यशवंत सिन्हा के सुझावों को ठुकराना बचपना होगा।
शत्रुघ्न ने अपनी ट्वीट में लिखा देश की इकोनॉमी पर मिस्टर यशवंत सिन्हा के सुझावों का मैंने, साथ ही दूसरे विचारशील नेताओं और हमारी पार्टी के और बाहरी लोगों ने पुरजोर समर्थन किया। उन्हें लगातार दो दिन से समर्थन मिल रहा है।हम आने वाले दिनों में राष्ट्रीय महत्व के इस गंभीर मुद्दे को नेताओं और कामगारों के सभी वर्गों से समर्थन मिलता देख रहे हैं।
हालांकि, इस मैटर को सरकार और यशवंत सिन्हा या यशवंत सिन्हा और अरुण जेटली के बीच का बताकर कमजोर नहीं करना चाहिए, जैसा कि किया जा रहा है। नहीं तो जगजीत सिंह के शब्दों में- बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी।यह बिल्कुल सही वक्त है कि माननीय प्रधानमंत्री और इस लोकतंत्र के मुखिया आगे आएं और एक रियल प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रेस और जनता के सवालों-जवाबों का सामना करें।
उम्मीद और प्रार्थना करता हूं कि हमारे पीएम कम से कम एक बार तो बताएंगे कि वे पूरे देश के, खासतौर पर गुजरात के जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, मिडिल क्लास, ट्रेडर्स, छोटे बिजनेसमैन का ख्याल रखते हैं। बीजेपी/एनडीए लंबे समय तक रहे, जय बिहार, जय महाराष्ट्र, जय गुजरात और जय हिंद।
बिहार से बीजेपी सांसद शत्रुघ्न ने गुरुवार को कहा ट्वीट कर कहा था- यशवंत सिन्हा सच्चे नेता और जांचे-परखे बुद्धिमान इंसान हैं, उन्होंने कामयाब वित्त मंत्री के तौर पर खुद को साबित किया है। उन्होंने देश के आर्थिक हालात पर आईना दिखाया है और समस्या की जड़ पर चोट की है।शत्रुघ्न ने सिन्हा के कमेंट्स पर की जा रही बातों के बारे में लिखा हम सब जानते हैं कि किस तरह की ताकतें उनके पीछे पड़ी हैं।
उन्होंने लिखा था मिस्टर सिन्हा की बातें हमेशा बहुत अच्छी होती हैं। ऐसे में उनके हाल में किए गए कमेंट्स को नकारना या हलके में लेना बिल्कुल बचकानी बात होगी। हमारे बड़े भाई (यशवंत सिन्हा) की हौसला अफजाई और तारीफ करनी चाहिए।शत्रुघ्न ने अगले ट्वीट में लिखा था- यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी दोनों ही बेहद अनुभवी और बुद्धिमान नेता हैं। दोनों किसी भी प्रकार की मंशा नहीं रखते हैं ना ही कोई पोस्ट (या मिनिस्टरशिप) चाहते हैं। खासतौर पर तब, जबकि अगले दो साल में ही चुनाव होने हैं।
बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में शौरी यशवंत के सहयोगी थे। शौरी भी मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं।सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस में पब्लिश आर्टिकल में लिखा था कि अरुण जेटली को इस सरकार में सबसे बेहतर माना जाता है। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले ही तय हो चुका था कि अगर मोदी सरकार बनी तो जेटली ही वित्त मंत्री होंगे।
जेटली अमृतसर से चुनाव हार गए, लेकिन यह हार उनके अप्वाइंटमेंट में रुकावट नहीं बनी। 1998 में ऐसे ही हालात में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने करीबी जसवंत सिंहऔर प्रमोद महाजन को कैबिनट में शामिल नहीं किया था।उन्होंने आगे लिखा था कि इससे पहले वाजपेयी सरकार में जसवंत सिंह और प्रमोद महाजन को भी वाजपेयी के करीबी होने के बावजूद मंत्री नहीं बनाया गया था। लेकिन जेटली को वित्त मंत्रालय के साथ ही रक्षा मंत्रालय भी मिला।
सिन्हा ने लिखा है कि मोदी सरकार में जेटली कितने ज़रूरी हैं, इस बात का पता इससे चलता है कि जेटली को 4 मंत्रालय दिए गए, जिनमें से 3 अब भी उनके पास हैं।उन्होंने लिखा कि मैंने वित्त मंत्रालय संभाला है, मुझे पता है कि यह आसान काम नहीं है। यह चौबीस घंटे सातों दिन का काम है, जिसे जेटली जैसे सुपरमैन भी पूरा नहीं कर सकते हैं।
सिन्हा के आर्टिकल का टाइटल I need to speak up now (मुझे अब बोलना ही होगा) है।उन्होंने लिखा है देश के वित्त मंत्री ने इकोनॉमी की हालत बिगाड़ दी है, ऐसे में अगर मैं चुप रहूं तो ये राष्ट्रीय कर्तव्य के साथ अन्याय होगा।यशवंत ने लिखा है मुझे भरोसा है कि मैं जो कुछ कह रहा हूं, यही बीजेपी के और दूसरे लोग मानते हैं, लेकिन डर की वजह से ऐसा कहेंगे नहीं।