प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया महाकुंभ के समापन समारोह को सबोधन

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पृथ्वी के तापक्रम में वृद्धि और आतंकवाद जैसी भीषण समस्याओं की जड़ बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत अंतद्धवंद से जुड़े वैश्विक मसलों को हल करने में प्रतिनिधि भूमिका निभा सकता है, क्योंकि इस मुल्क के लोगों में टकरावों के प्रबंधन की जन्मजात क्षमता है। मोदी ने उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ मेले की पृष्ठभूमि में प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित ‘अंतरराष्ट्रीय विचार महाकुंभ’ के समापन समारोह में कहा, ‘दुनिया पृथ्वी के तापक्रम में वृद्धि और आतंकवाद की दो भीषण समस्याओं से जूझ रही है।

इन समस्याओं के मूल में यह भाव है कि मेरा रास्ता तेरे रास्ते से सही है। यही भाव और विस्तारवाद दुनिया को टकराव के रास्ते पर धकेलता जा रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘दुनिया टकरावों के समाधान के लिये बड़े.बड़े सेमिनार कर रही है।लेकिन उसे इनका हल नहीं मिल रहा है। लेकिन हम भारतीयों में टकरावों के प्रबंधन की जन्मजात क्षमता होती है। हम विश्व को रास्ता दिखा सकते हैं। हम हठवादिता से बंधे लोग नहीं हैं. हम अपने दर्शन की परंपराओं से बंधे लोग हैं।

प्रधानमंत्री ने मिसाल देते हुए कहा, ‘हम भगवान राम की पूजा करते हैं जिन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया था, वहीं हम भक्त प्रहलाद की भी पूजा करते हैं जिन्होंने अपने पिता के आदेश का अनादर किया था।मोदी ने अमेरिका में राष्ट्रपति पद के जारी चुनावों की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘हम परिवार नाम की संस्था में सदियों से भरोसा करते आ रहे हैं। लेकिन दुनिया अब जाकर इस संस्था के महत्व को समझ रही है।

दुनिया के समृद्ध देशों के नेता जब चुनावी मैदान में उतरते हैं, तो वे प्रचार के दौरान एक बात बार.बार कहते हैं कि उनके देश में पारिवारिक मूल्यों को फिर से स्थापित किया जायेगा।’ प्रधानमंत्री ने सिंहस्थ कुंभ मेला 2016 के 51 सूत्रीय घोषणापत्र को जारी भी किया। इस मौके पर श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना भी मौजूद थे।

मोदी ने कुंभ मेले के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, ‘कुंभ मेले में बगैर किसी औपचारिक न्योते के दुनिया भर से इतने लोग हर दिन जुटते हैं, जितनी यूरोप के किसी देश की जनसंख्या होती है। यह मेला प्रबंधन की बड़ी परिघटना है। कुंभ मेले को केस स्टडी की तरह दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाना चाहिये।’ उन्होंने हालांकि इस बात पर चिंता जतायी कि लगातार प्रचार के जरिये नगा साधुओं को ‘कुंभ की एकमात्र पहचान’ बना दिया गया है।

मोदी ने कहा, ‘हमें भारत की ब्रांडिंग उस जुबान में करनी चाहिये, जिसे दुनिया अच्छी तरह समझती है।’ उन्होंने सभी 13 अखाड़ों के प्रमुखों और हिंदुओं के अन्य पंथ.संप्रदायों के धर्मगुरओं से अपील की कि वे वर्ष में एक सप्ताह तक वृक्षारोपण, नदियों के संरक्षण, बेटियों की शिक्षा और नारी के सम्मान जैसे विषयों पर वैज्ञानिक तरीके से विचार मंथन करें।

मोदी ने यह भी कहा, ‘हमें समय के बदलाव को स्वीकारते हुए उन परंपराओं को छोड़ना होगा, जो अब चलन से बाहर हो चुकी हैं। परंपराओं के नाम पर अवैज्ञानिक चीजों को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिये। हमें अपने भीतर झांककर व्यवस्थाओं को आधुनिक करने और नयी उंचाइयों को छूने की आवश्यकता है। बदलाव को आने दिया जाना चाहिये और इसे स्वीकार किया जाना चाहिये।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सिंहस्थ 2016 का घोषणापत्र जारी किया, जिसमें धर्म को ‘जोड़ने वाली शक्ति’ बताते हुए विश्व भर के सभी धर्मों, पंथों, संप्रदायों और विश्वास पद्धतियों के प्रमुखों से अपील की गयी है कि वे मजहब के नाम पर की जा रही हर तरह की हिंसा का विरोध करें। मोदी ने उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ मेले की पृष्ठभूमि में प्रदेश सरकार के आयोजित ‘अंतरराष्ट्रीय विचार महाकुंभ’ के समापन समारोह में इस घोषणापत्र को जारी किया जिसे ‘सिंहस्थ 2016 के सार्वभौम संदेश’ के शीषर्क से तैयार किया गया है।

इस मौके पर श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना भी मौजूद थे। यह 51 सूत्रीय घोषणापत्र कहता है, ‘धर्म जोड़ने वाली शक्ति है। अत: धर्म के नाम पर की जा रही सभी प्रकार की हिंसा का विरोध विश्व भर के समस्त धर्मों, पंथों, संप्रदायों और विश्वास पद्धतियों के प्रमुखों द्वारा किया जाना चाहिये।’ घोषणापत्र में सम्पूर्ण मानव जाति को एक परिवार बताते हुए कहा गया है कि सहयोग और अंतर्निर्भरता के विभिन्न रूपों को अधिकतम प्रोत्साहन दिया जाना चाहिये।

घोषणापत्र में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि पारिस्थितिकी की रक्षा के लिये अत्यधिक उपभोक्तावाद पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, विश्व में व्याप्त भीषण जल संकट के निदान के लिये जल संवर्धन की तकनीकों और प्रणालियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।विज्ञान और अध्यात्म को परस्पर पूरक बताते हुए घोषणापत्र में कहा गया है कि प्रकृति के भौतिक रहस्यों को जानने के लिये विज्ञान और आंतरिक रहस्यों को जानने के लिये अध्यात्म की आवश्यकता है।

घोषणापत्र में धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों के साथ जीवन मूल्यों के शिक्षण, कृषि, वानिकी, पारंपरिक चिकित्सा, जैव विविधता संरक्षण, संसाधन प्रबंधन, स्वच्छता, नदियों के संरक्षण, स्त्री को पुरष के समान स्थान देने, गो वंश के संरक्षण, कुटीर उद्योगों और शिल्पियों के मुद्दों को भी छुआ गया है।

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