प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विश्व भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वभारती, मां भारती के लिए गुरुदेव के चिंतन, दर्शन और परिश्रम का एक साकार अवतार है.
पीएम मोदी ने कहा कि विश्व भारती के लिए गुरुदेव का विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है. आत्मनिर्भर भारत अभियान भी विश्व कल्याण के लिए भारत के कल्याण का मार्ग है. ये अभियान, भारत को सशक्त करने का अभियान है, भारत की समृद्धि से विश्व में समृद्धि लाने का अभियान है.
गुरुदेव ने हमें स्वदेशी समाज का संकल्प दिया था. वो हमारे गांवों, कृषि को आत्मनिर्भर देखना चाहते थे. वो वाणिज्य, व्यापार, कला, साहित्य को आत्मनिर्भर देखना चाहते थे.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि भारत के लिए गुरुदेव ने जो स्वप्न देखा था, उस स्वप्न को मूर्त रूप देने के लिए देश को निरंतर ऊर्जा देने वाला ये एक तरह से आराध्य स्थल है. विश्वविभारती के 100 वर्ष होना प्रत्येक भारतीय के गौरव की बात है.
मेरी लिए भी ये सौभाग्य की बात है कि आज के दिन इस तपोभूमि का पुण्य स्मरण करने का अवसर मिल रहा है. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा विश्व भारती के ग्रामोदय का काम तो हमेशा से प्रशंसनीय रहे हैं.
आपने 2015 में जिस योग डिपार्टमेंट शुरू किया था उसकी भी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है. प्रकृति के साथ मिलकर अध्ययन और जीवन दोनों का साक्षात उदाहरण आपका विश्वविद्यालय परिसर है.
भारत इंटरनेशनल सोलर एलायंज के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिए विश्व में बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है. भारत पूरे विश्व में इकलौता बड़ा देश है जो पेरिस अकॉर्ड के पर्यावरण के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सही मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है.’
उन्होंने आगे कहा जब हम स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो हमारे मन में सीधे 19-20वीं सदी का विचार आता है लेकिन ये भी एक तथ्य है कि इन आंदोलनों की नींव बहुत पहले रखी गई थी. भारत की आजादी के आंदोलन को सदियों पहले से चले आ रहे अनेक आंदोलनों से ऊर्जा मिली थी.