सीबीआई अदालत ने पीलीभीत फर्जी मुठभेड में मारे गये हर व्यक्ति के परिजनों को चौदह-चौदह लाख रूपये भुगतान करने का आदेश दिया है.यह धन सजा पाने वाले दोषियों पर लगाये गये जुर्माने की रकम से दिया जाएगा. अदालत ने 25 साल पुराने फर्जी मुठभेड मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस के 47 कर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है.
सीबीआई की विज्ञप्ति में बताया गया कि विशेष सीबीआई के न्यायाधीश लल्लू सिंह ने तत्कालीन थाना प्रभारियों पर ग्यारह ग्यारह लाख रूपये,पुलिस उपनिरीक्षकों पर आठ आठ लाख रूपये, कांस्टेबलों पर पौने तीन लाख रूपये का जुर्माना लगाया है. जुलाई 1991 में 10 सिखों की फर्जी मुठभेड में हत्या कर दी गयी थी.
दोषियों से एकत्र जुर्माने की रकम मृतकों के परिजनों को बतौर मुआवजा दी जाएगी.उच्चतम न्यायालय के आदेश पर सीबीआई ने तीन मामले दर्ज किये थे. राज्य पुलिस ने कहा कि मारे गये दस लोग पंजाब के आतंकवादी थे जबकि वस्तुत: वे तीर्थयात्री थे.अपर पुलिस अधीक्षक (पीलीभीत) के नेतृत्व में 12 जुलाई 1991 में कछला घाट के निकट पुलिस दल ने तीर्थयात्रियों की बस को रोका.
अगले ही दिन 13 जुलाई की सुबह उनकी तीन अलग अलग फर्जी मुठभेडों में हत्या कर दी गयी.शीर्ष अदालत ने इन मामलों की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंपे जाने का आदेश दिया था.जांच के बाद 57 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया. उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किये गये. मुकदमे के दौरान दस आरोपियों की मौत हो गयी जबकि 47 अन्य को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनायी.