शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि लोगों में जीएसटी एवं नोटबंदी को लेकर गुस्सा है और यह बात साफ है कि गुजरात विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए महज चुनाव नहीं बल्कि एक चुनौती है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की एक किताब पर आयोजित पैनल चर्चा में सिन्हा ने तिवारी के साथ मंच साझा करते हुए आर्थिक मुद्दों पर अपनी टिप्पणियों का बचाव किया और कहा कि अगर एक वकील वित्तीय मामलों की बात कर सकता है, अगर एक टीवी अभिनेत्री मानव संसाधन विकास मंत्री बन सकती हैं।
और एक चायवाला बन सकता है तो मैं अर्थव्यवस्था की बात क्यों नहीं कर सकता? हालांकि भाजपा नेता ने किसी का नाम नहीं लिया, उनका इशारा साफ तौर पर वित्त मंत्री अरूण जेटली, पूर्व में एचआरडी मंत्री रहीं मौजूदा सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ था।
सिन्हा ने यह भी कहा कि वह अपनी पार्टी को चुनौती नहीं दे रहे बल्कि भाजपा के और राष्ट्रीय हित में उसे आईना दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा, जीएसटी, नोटबंदी, बेरोजगारी को लेकर लोगों के गुस्से को देखते हुए मैं यह नहीं कहना चाहता कि भाजपा को कितनी सीटें मिलेंगी लेकिन निश्चित तौर पर ये चुनाव एक विशेष चुनौती होने जा रहे हैं।
हालांकि पटना साहिब के सांसद ने कहा कि भाजपा एकजुट रहकर अपनी सीटें बढ़ा सकती है और उसे चुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए।साथ ही उन्होंने कहा मैं बस इतना कहूंगा कि मामला गंभीर है और ये चुनाव नहीं बल्कि चुनौती हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वह किसी दूसरे राजनीतिक दल में शामिल हो सकते हैं, सिन्हा ने अपने जाने पहचाने संवाद के साथ जवाब दिया खामोश।
सिन्हा मोदी सरकार की नीतियों और जीएसटी एवं नोटबंदी सहित कई मुद्दों से जुड़े उसके फैसलों के मुखर आलोचक रहे हैं।बता दें, गुजरात में 9 और 14 दिसंबर को विधानसभा चुनाव है। 18 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश के साथ विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे।