कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने वीरवार को सोपोर में एक रैली कर सभी को चौंका दिया। हालांकि यह रैली कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हुई और भीड़ भी कोई ज्यादा नहीं थी, लेकिन इसने मुख्यधारा से लेकर अलगाववादी खेमे में सभी को परेशानी पर डाल दिए हैं। सोपोर को आतंकियों और अलगाववादियों का गढ़ माना जाता है। चुनाव बहिष्कार इस पूरे क्षेत्र में अपना रंग दिखाता है।कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी भी यहीं से हैं। संसद हमले में संलिप्तता के कारण फांसी पर चढ़ा अफजल गुरु भी सोपोर का ही रहने वाला था। इसके अलावा गत मार्च माह के बाद से उत्तरी कश्मीर में सोपोर व उससे सटे इलाकों में ही आतंकियों ने सबसे ज्यादा आतंक मचाया है और मुख्यधारा की सियासी गतिविधियां लगभग ठप हैं।
प्रत्यक्ष तौर पर कोई भी यह नहीं कहेगा कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच में सोपोर मे रैली हो सकती है और इसके अलावा सोपोर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के हाजी अब्दुल रशीद विधायक हैं। लेकिन बात यहीं तक नहीं है। कश्मीर में कांग्रेस की सियासत पर नजर रखने वालों के मुताबिक, सोपोर का चुनाव बहुत सोच समझकर किया गया है।
गत वर्ष हुए विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक सोपोर में पीडीपी, भाजपा या नेकां के किसी बड़े नेता की रैली नहीं हुई है। इससे राहुल गांधी की रैली से जहां नेकां-पीडीपी के कैडर में अपने नेताओं के प्रति विमुखता का भाव बढ़ सकता है और वह कांग्रेस की तरफ जा सकते हैं। इसके अलावा वादी के विभिन्न भागों में फैले कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह भी यह सोचकर बढ़ेगा कि राहुल गांधी ने गिलानी के घर में रैली कर, साबित किया है कि सत्ताच्युत होने के बावजूद कांगे्रस कश्मीर में भी दमखम रखती है।
राहुल गांधी ने लोगों से कांग्रेस के साथ जुडऩे और उसकी नीतियों को घर-घर पहुंचाने का आग्रह करते हुए कहा कि जीए मीर पूरे राज्य में घर-घर जाएंगे। वह लोगों से संपर्क करेंगे। उनकी मुश्किलात का जायजा लेकर हम तक पहुंचाएंगे। हम यथासंभव उनकी मदद का प्रयास करेंगे। उन्होंने इस दौरान स्थानीय विधायक हाजी अब्दुल रशीद को धरती पुत्र करार देते हुए कहा कि जब भी कांग्रेस यहां सत्ता में आएगी, हाजी अब्दुल रशीद मंत्री बनेंगे।
राज्य के वरिष्ठ पत्रकार रशीद राही ने कहा कि सोपोर में रैली से उत्तरी कश्मीर में कांग्रेस को सियासी फायदा है। कांग्रेस के कैडर में बढ़ोतरी होगी और वैसे भी 1990 के दशक में जब कश्मीर में सियासी गतिविधियां आतंकियों के डर से पूरी तरह ठप हो चुकी थी तो उस समय भी कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष स्व. जीआर कार जो सांसद भी रहे हैं और विधायक भी, ने इसी क्षेत्र से दोबारा सियासी गतिविधियों को शुरू किया था। वह अक्सर गाडिय़ां रोक कर लोगों को लोकतांत्रिक व्यवस्था और सियासत के बारे में समझाकर उन्हें आतंकवाद से दूर रहने के लिए कहते थे।
राही ने कहा कि इस रैली में सबसे खास बात यह रही कि आज सोपोर में हड़ताल नहीं हुई। इससे अलगाववादी खेमा जरूर परेशान हुआ होगा। इसके अलावा नेकां और पीडीपी जिनका कश्मीर में ही मुख्य जनाधार हैं, खुद को अब कांग्रेस के सामने बौना महसूस कर रही होंगी।