वियतनामी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री से मिले मनोहर पर्रिकर

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रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने वियतनामी राष्ट्रपति त्रान दई क्यांग से मुलाकात की और उनके साथ सैन्य क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए की गयी पहलों की समीक्षा की।पर्रिकर ने प्रधानमंत्री न्गूयेन शुआन फुक तथा अपने समकक्ष जनरल नगो शुआन लिच से भी मुलाकात की और प्रमुख सैन्य मुद्दों पर उच्चस्तरीय द्विपक्षीय वार्ता की। इन मुद्दों में दक्षिण पूर्व एशियाई देश को सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस की संभावित बिक्री शामिल है। उन्होंने रक्षा सहयोग पहलों के पूरे आयाम की समीक्षा की।

बातचीत के दौरान नगो ने साझा खतरों और चुनौतियों के कारण वियतनाम और भारत के बीच प्रगाढ़ संबंधों के महत्व पर जोर दिया। आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि समझा जाता है कि दोनों रक्षा मंत्रियों ने विवादित दक्षिणी चीन सागर मुद्दे पर भी चर्चा की। सूचना के आदान प्रदान के तंत्र पर पर्रिकर और नगो ने बातचीत की। उन्होंने समुद्री क्षेत्र में आंकड़ों के आदान प्रदान को सुगम बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

यह मुलाकात महत्वपूर्ण हो गयी है और दोनों देश राजनयिक संबंधों के 45 साल और रणनीतिक सहयोग के 10 साल पूरा कर रहे हैं। इस सहयोग में रक्षा क्षेत्र का अहम योगदान रहा है। पर्रिकर कल हनोई पहुंचे थे। उन्होंने कारोबारी गोलमेज सभा में भी भाग लिया। इसमें दोनों देशों के रक्षा उद्योग के प्रतिनिधि शामिल थे। बैठक की खास बात वियतनाम बार्डर गार्डस द्वारा लार्सन एंड टूब्रो लि. को बोली दस्तावेज सौंपना था। भारत ने हाल ही में वियतनाम को 10 करोड़ अमेरिकी डालर की रिण सहायता मुहैया करायी है।

वियतनाम इसका उपयोग अपने बार्डर गार्डस के लिए अपतटीय गश्ती नौकाओं की खरीद के लिए कर रहा है।इस मौके पर उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि भारतीय निजी क्षेत्र वियतनामी रक्षा बलों के आधुनिकीकरण में सक्रिय रूप से भाग ले और संभावना तथा पहलों का नेतृत्व करे। उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ दोनों देशों के राजनयिक और सैन्य संबंध मजबूत होंगे बल्कि सामरिक निर्यात के लिए दरवाजे भी खुलेंगे।

पर्रिकर ने भारतीय निजी क्षेत्र को रक्षा मंत्रालय, डीआरडीओ और डीपीएसयू के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया ताकि मित्र देशों को प्रतिस्पर्धी मूल्य पर रक्षा वस्तुओं के निर्यात की आकांक्षा पूरी हो सके।जिन क्षेत्रों की पहचान मिलकर काम करने के लिए की गयी है उनमें सोवियत विरासत की प्रणालियों का उन्नयन, एमआई 17 और एमआई 8 हेलीकाप्टरों का उन्नयन, पोतनिर्माण कार्यक्रम, भारत से मिसाइल प्रणाली और वियतनाम से ‘‘साफ्टवेयर डिफाइन्ड रेडियो’’ शामिल हैं।

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