आज से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू

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संसद के शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में विपक्ष एकजुट होकर सरकार को असहिष्णुता के मुद्दे पर घेरने के लिए तैयार है लेकिन महत्वपूर्ण जीएसटी विधेयक पर नरमी के आसार दिखते हैं जहां दोनों पक्षों ने इस पर चर्चा के लिए सहमति जताई है.विपक्ष देश में कथित तौर पर बढ़ती असहिष्णुता की निंदा के लिए प्रस्ताव पारित करने की मांग कर सकता है जिसे सरकार द्वारा मानने की संभावना नहीं लगती. सरकार इस मुद्दे पर चर्चा की पेशकश कर सकती है और दादरी जैसी घटनाओं को राज्यों से जुड़ा कानून व्यवस्था का विषय बताने का प्रयास करेगी.

संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार बढ़ती असहनशीलता की धारणा से सहमत नहीं है और हम इस संबंध में उचित तरीके से चर्चा के लिए विपक्ष के साथ चलने को तैयार हैं, ‘अगर आप ऐसा चाहें.’ उन्होंने कहा, ”सरकार इस तरह की घटनाओं का समर्थन या उनकी अनदेखी नहीं करती.” वह दादरी और एम एम कलबुर्गी की हत्या जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं पर विपक्ष की चिंताओं से वाकिफ है.

हालांकि जीएसटी विधेयक के मुद्दे पर दोनों पक्षों ने कुछ विवादास्पद प्रावधानों पर अध्ययन के लिए चर्चा की जरूरत के बारे में बात की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष से सहयोग की अपील की. उन्होंने नायडू द्वारा बुलाई गयी सर्वदलीय बैठक में जीएसटी विधेयक के जल्दी पारित होने की पुरजोर वकालत की और कहा कि यह देश हित में होगा. उन्होंने विपक्ष के नेताओं से कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली उनकी चिंताओं पर उनसे विचार-विमर्श करेंगे.

दूसरी तरफ कांग्रेस ने कहा कि वह जीएसटी विधेयक पर चर्चा के लिए तैयार है जिस पर उसकी चिंताएं जायज हैं. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ”हम चर्चा के लिए तैयार हैं. देखते हैं कि वे कितने आगे जाते हैं.” विपक्ष के नेताओं से एक के बाद एक मुलाकातों में सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि शांति और सद्भाव के माहौल में ही काम हो सकता है.

शाम को प्रधानमंत्री ने राजग के घटक दलों के नेताओं से मिलकर रणनीति बनाई. बैठक के बाद स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के राजू शेट्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री को जीएसटी विधेयक पारित होने का भरोसा है. जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने नायडू द्वारा बुलाई गयी सर्वदलीय बैठक के बाद जीएसटी को समर्थन का ऐलान किया.

माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि केंद्र को जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) के मुद्दे पर राज्यों के साथ बातचीत करनी चाहिए क्योंकि इसके प्रभाव में आने पर कर मामलों पर राज्यों के सारे विधायी अधिकार चले जाएंगे. उन्होंने खेद जताया कि इस बारे में वाम दलों के बार-बार आग्रह के बावजूद इस तरह की बातचीत नहीं हुई.

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी संसद में सुगम कामकाज सुनिश्चित करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है. बेंगलूरू गये कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ”हम असहनशीलता का मुद्दा उठाएंगे. देश में जो कुछ हो रहा है, वह परेशान करने वाला है और प्रधानमंत्री चुप हैं.”

येचुरी ने कहा कि उन्होंने राज्यसभा में एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित करने के लिए नोटिस दिया है कि यह सदन ‘असहिष्णुता’ की घटनाओं की निंदा करता है और सरकार से मांग करता है कि वह यह सुनिश्चित करे कि ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं हों. आजाद ने गेंद सरकार के पाले में डालते हुए कहा, ”आखिरकार यह सरकार पर निर्भर करता है कि वे सदन चलाने में दिलचस्पी रखते हैं या नहीं.”

आजाद ने कहा कि संसद में असहनशीलता, महंगाई, किसानों के हालात और बाढ़ की स्थिति समेत अन्य कई चीजों पर चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा, ”हमने सरकार से अपना रख बिल्कुल साफ कर दिया है कि हम कामकाज होने के पक्ष में हैं बशर्ते हमारी जायज मांगें और देशवासियों से जुड़ी चिंताओं पर ध्यान दिया जाए.”

नायडू ने कहा, ”सरकार तथाकथित असहनशीलता समेत सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है जबकि यह राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है. हम इस तरह की घटनाओं का समर्थन या इनकी अनदेखी नहीं करते.” उन्होंने कहा, ”हमें कुछ नहीं छिपाना. हम असहनशीलता पर चर्चा के लिए तैयार हैं. सरकार को इस बारे में शर्मिंदगी महसूस करने की जरूरत नहीं है. हम यहां तक कि तथाकथित असहिष्णुता के बारे में चर्चा के लिए तैयार हैं.”

जीएसटी के महत्वपूर्ण मुद्दे पर नायडू ने कहा कि सरकार ने कांग्रेस के साथ बातचीत का निर्णय लिया है. वह जीएसटी और अन्य विधेयकों पर विपक्ष की चिंताओं पर ध्यान देगी. कुछ देर के लिए सर्वदलीय बैठक में शामिल हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संसद सार्थक और सकारात्मक तरीके से चलनी चाहिए. बाद में मीडियाकर्मियों को जानकारी देते हुए नायडू ने कहा कि बैठक बहुत सौहार्दपूर्ण और सार्थक तरीके से हुई. उन्होंने शीतकालीन सत्र सही से होने की संभावना जताई.

राजग की बैठक में प्रधानमंत्री ने नायडू से हर दो महीने में भाजपा नीत गठबंधन की बैठक आयोजित करने की पण्राली बनाने को कहा. राजग के नेताओं ने शहरी स्थानीय इकाइयों को मजबूत करने का संकल्प लिया और मोदी ने कहा कि केंद्र और राज्यों में एक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए. भाजपा के सहयोगी दल पहले भी राजग की और अधिक नियमित बैठकों की बात अकसर कहते रहे हैं. अकाली दल के नेताओं ने एसजीपीसी अधिनियम में संशोधन की वकालत की और राजनाथ सिंह ने उन्हें इस बारे में विचार करने का आश्वासन दिया.

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