नेता शरद यादव और नीतीश कुमार की आज अलग-अलग मीटिंग होनी है। पार्टी महासचिव पद से हटाए गए अरुण श्रीवास्तव और राज्यसभा सांसद अली अनवर ने शुक्रवार को कहा- शरद यादव और उनके समर्थक शनिवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का बहिष्कार करेंगे। यह गुट श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में अपनी अलग बैठक करेगा।
नीतीश कुमार इसी दौरान पार्टी कार्यकारिणी की बैठक कर रहे होंगे। माना जा रहा है कि शरद पार्टी में रहेंगे या नहीं, इस पर फैसला हो सकता है। अनवर ने कहा- नीतीश सत्ता का दुरूपयोग कर रहे हैं। शरद का गुट पार्टी के चुनाव चिन्ह तीर पर भी अपना दावा करेगा। यादव गुट जल्द ही इलेक्शन कमीशन जाएगा।
अरुण ने कहा- शरद गुट ही असली जेडीयू है। पार्टी के 14 राज्यों के अध्यक्ष उनके साथ हैं। इनमें से छह-सात अध्यक्ष साझी विरासत सम्मेलन में शामिल हुए थे। नीतीश कुमार तानाशाह की तरह व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने ना सिर्फ मुझे महासचिव के पद से हटाया बल्कि अली अनवर अंसारी को राज्यसभा में पार्टी के उप नेता पद से और शरद को भी सदन नेता पद से हटा दिया।
अरुण के मुताबिक- हम सब राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सामने अपनी बात कहना चाहते थे, लेकिन नीतीश ने हम तीनों को बिना कोई नोटिस दिए ही हटा दिया। इसलिए हमने कार्यकारिणी का बहिष्कार कर पटना में उसी वक्त अपनी बैठक करने का फैसला लिया है।अरुण ने कहा- जेडीयू में शरद सबसे पुराने नेता हैं। नीतीश तो समता पार्टी के नेता थे।
इसलिए जेडीयू के संस्थापक शरद हैं। हम चुनाव आयोग को यही बात बताकर तीर चुनाव चिह्न की मांग करेंगे। नीतीश कुमार को पार्टी के दस सांसदों और 71 विधायकों के अलावा केवल पांच राज्यों का समर्थन प्राप्त है।बता दें कि शरद यादव ने गुरुवार को दिल्ली में साझा विरासत बचाओ सम्मेलन किया था। इसमें राहुल गांधी समेत कांग्रेस, राजद और अन्य दल के कई नेता आए थे।
बिहार में बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद नीतीश और शरद यादव आमने-सामने आ गए हैं। पिछले दिनों अमित शाह से मुलाकात के बाद नीतीश ने कहा था- वो (शरद यादव) अपना रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। पूरी पार्टी से विचार के बाद ही हमने यह फैसला लिया था। सबकी सहमति के बाद ही बीजेपी के साथ आए और बिहार में सरकार बनाई। मैं कुछ भी करने से पहले पार्टी के लोगों से जरूर पूछता हूं।
शरद ने पिछले दिनों नीतीश के फैसले के खिलाफ राज्य में तीन दिन की यात्रा की थी।लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ सीबीआई द्वारा केस दर्ज किए जाने के बाद नीतीश कुमार ने उन्हें जनता के बीच जाकर फैक्ट्स के साथ सफाई देने को कहा था। इसके साथ ही जदयू के लोग नीतीश के जीरो टॉलरेंस का हवाला देकर तेजस्वी से इस्तीफा देने की मांग कर रहे थे।
तेजस्वी ने ना तो सफाई दी और ना ही इस्तीफा रिपोर्ट दिया और न इस्तीफा। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 26 जुलाई को इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के दूसरे दिन ही भाजपा के साथ मिलकर जदयू ने सरकार बना ली।शरद यादव नीतीश के महागठबंधन छोड़कर भाजपा के साथ जाने से नाराज हो गए। शरद ने इसे जनता के साथ किया गया धोखा कहा।