भारत ने एक सबमरीन बैलेस्टिक मिसाइल के-4 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इससे समंदर में भारत की ताकत और बढ़ गई है। इसका नाम भारत के दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति और ‘मिसाइल मैन’ के नाम से मशहूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है। इस मिसाइल में कुछ ही मिनटों में पाकिस्तान और चीन के शहरों को भस्म करने की क्षमता है।यह एक सबमरीन-लॉन्च्ड बैलेस्टिक मिसाइल है। यानि इसे समुद्र की गहराइयों में पनडुब्बी से लॉन्च किया जा सकता है।
यह मिसाइल बेहद गोपनीय कार्यक्रम के तहत तैयार की गई है। इसे मार्च 2016 में ही भारत की पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत से लॉन्च किया गया था।इसका निर्माण डीआरडीओ ने ‘ब्लैक प्रोजेक्ट’ के तहत तैयार किया है।सूत्रों के मुताबिक के-4 का परीक्षण विशाखापट्टनम से 45 नॉटिकल मील की दूरी पर एक अज्ञात स्थान से किया गया था।जिस अरिहंत पनडुब्बी से के-4 को लॉन्च किया गया वो भारत की पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी है।
डीआरडीओ के बेहद गोपनीय कार्यक्रम के तहत बनाई जा रही के-4 एक हल्की, तेज और आसानी से रडार की पकड़ में ना आने वाली मिसाइल है।इसकी सबसे बड़ी खासियत बूस्ट ग्लाइड फ्लाइट सिस्टम है, जिसकी मदद से ये किसी भी एंटी बैलेस्टिक मिसाइल सिस्टम को चकमा दे सकती है।यह अग्नि-3 मिसाइल के मुकाबले आकार में छोटी है, इसलिए इसे आसानी से अरिहंत जैसी परमाणु पनडुब्बी में फिट किया जा सकता है।
टेढ़े-मेढ़े रास्ते पर उड़ने वाली ये मिसाइल तकनीक की मदद से रडार की पकड़ में नहीं आती और दुश्मन के ठिकानों पर बिना गलती के हमला कर सकती है।इस मिसाइल को पहली बार 2014 में समुद्र के अंदर 30 फीट की गहराई से एक नकली पनडुब्बी से परीक्षण के तौर पर लॉन्च किया गया था।ये मिसाइल इतनी शक्तिशाली है कि अब पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश अमेरिका से शिकायत कर रहे हैं कि इससे दक्षिण एशिया में हथियारों का संतुलन बिगड़ जाएगा। यहां तक कि अमेरिका भी भारत को मिसाइलों के मामले में दुनिया की महाशक्ति बनते हुए देखकर चिंतित है।
भारत मिसाइल की दुनिया की महाशक्ति बनता जा रहा है। भारत ने यह उपलब्धि अपने दम पर हासिल की है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत कोई देश किसी दूसरे देश से लंबी दूरी की मिसाइल तकनीकी हासिल नहीं कर सकता।अग्नि और के-4 मिसाइल के अलावा भारत के पास पृथ्वी और ब्रह्मोस मिसाइल भी मौजूद है।भारत के-4 का मार्क-2 वर्जन भी तैयार कर रहा है जिसकी मारक क्षमता छह से आठ हजार किलोमीटर तक हो सकती है।
डीआरडीओ सूर्य मिसाइल सिस्टम पर काम कर रहा है। जिसकी टेस्टिंग वर्ष 2017 में होने की उम्मीद है। इसमें एक नहीं बल्कि कई परमाणु हथियार लगे होंगे। ऐसा माना जा रहा है कि सूर्य मिसाइल 4 से 6 हथियार ले जाने में सक्षम होगी। सूर्य मिसाइल दुनिया के किसी भी कोने में मार कर सकेगी। इसकी रेंज 10 हजार किलोमीटर तक होगी। यानि यूरोप, एशिया, अफ्रीका, अलास्का और उत्तरी कनाडा भी इसकी जद में आ सकते हैं।अभी अमेरिका के पास 13 हजार किलोमीटर की मारक क्षमता वाली मिसाइल मौजूद है।