पाकिस्तान आर्मी हथियारबंद आतंकियों की भारत में घुसपैठ में मदद करती है : भारतीय सेना

भारतीय सेना ने पाकिस्तान आर्मी की कई साजिशों को नाकामयाब किया है। भारतीय सेना ने कहा है कि पाकिस्तान आर्मी हथियारबंद आतंकियों की घुसपैठ में मदद के लिए उन्हें तोपों से कवर फायर दे रही है। पाकिस्तान आर्मी आतंकियों को हमारे देश में घुसाने के लिए कवर दे रही है और इस पर पैनी नजर रखी जा रही है। पिछले 49 घंटे में चार जगहों (गुरेज, माछिल, नौगाम और उरी सेक्टर्स) पर घुसपैठ नाकाम की गई।

इस दौरान 7 आतंकी मार गिराए गए।स्पोक्सपर्सन के मुताबिक- मारे गए 7 आतंकियों से काफी तादाद में हथियार और गोला बारूद बरामद किए गए हैं।इंडियन आर्मी को अब आतंकवादियों को खोजने में मददगार स्पेशल राडार मिल गए हैं। ये राडार दीवार के दूसरी तरफ भी आसानी से देख सकेंगे। इनमें हाईटेक्नोलॉजी वाले सेंसर लगे हैं, जो दीवार या ऐसी ही किसी सतह के दूसरी तरफ हो रही हलचल को डिटेक्ट कर पाएंगे।

 

फिलहाल, ये सिस्टम इम्पोर्ट किए गए हैं लेकिन जल्द ही इन्हें देश में ही बनाया जाएगा।कश्मीर में ज्यादातर घरों में फाल्स सीलिंग (घर के अंदर तहखानेनुमा जगह) होती हैं। इनका आसानी से पता लगाना मुश्किल होता है। आतंकी इन जगहों या फिर घने जंगल में छुपे होते हैं और सेना पर घात लगाकर हमला करते हैं। 

न्यूज एजेंसी के मुताबिक- पिछले साल 8 जुलाई को आर्मी का स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप उस घर तक पहुंच गया था जहां लश्कर कमांडर बुरहान वानी छुपा था। दो बार तलाशी लेने पर भी ग्रुप वानी को खोज नहीं पाया क्योंकि वो तहखाने जैसी जगह छुपा था।मुखबिर से मिली जानकारी पर ग्रुप उस घर तक तो पहुंच जाता जहां वानी के छुपे होने की खबर थी लेकिन उसको लोकेट करने में कामयाबी नहीं मिल पा रही थी।

तीसरी बार जब ग्रुप इस जगह तलाशी के लिए पहुंचा तो आतंकियों ने उन पर फायरिंग की। जवाबी कार्रवाई में वानी मारा गया था।न्यूज एजेंसी के मुताबिक- नए राडार के इस्तेमाल से जंगल या घरों में छुपे आतंकियों की हरकतों को स्कैन किया जा सकेगा। इस राडार में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेब्स का इस्तेमाल किया गया है। यानी दीवार के दूसरी तरफ होने वाली हलचल को ये राडार डिटेक्ट करके आर्मी को रियल टाइम डाटा देंगे। 

यानी आर्मी को फौरन ये पता लगा जाएगा कि किसी घर या जंगल में आतंकियों की लोकेशन कहां है। ये राडार इतने सेंसेटिव हैं कि सांस लेने की आवाज को भी डिटेक्ट कर सकेंगे।डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) का इलेक्ट्रॉनिक्स एंड राडार डेवलपमेंट एस्टेबिलिशमेंट (LRDE) डिपार्टमेंट भी इस राडार को देश में ही बना रहा है। जल्द ही बड़े पैमाने पर ये आर्मी के पास होंगे। फिलहाल, इनका टेस्ट नहीं किया गया है। इसे दिव्यचक्षु नाम दिया गया है।

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