अमित शाह ने भीमा कोरेगांव में कथित तौर लिप्त सामाजिक कार्यकर्ताओं का समर्थन करने के लिए विपक्षी दलों पर करारा हमला बोला. दिल्ली में एक सभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुएकहा कि पूरे देश में जातीय हिंसा फैलाने का प्रयास करने वाले माओवादियों को जब मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया, तो विपक्ष ने इस पर सवाल उठाने शुरू कर दिए.
ये माओवादी पीएम नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे. ऐसे मामले पर विपक्ष ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दांव पर है. अमित शाह ने आयुष्मान भारत योजना को लेकर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधा. अमित शाह ने केजरीवाल पर हमला बोलते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के असहयोग के कारण, दिल्ली की जनता को आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
दरअसल, आम आदमी पार्टी के मुखिया केजरीवाल ने दिल्ली में आयुष्मान भारत योजना को लागू करने से मना कर दिया है.बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भीमा कोरेगांव केस में सुनवाई करते हुए मामले में गिरफ्तार किए गए पांचों सामाजिक कार्यकर्ताओं की नजरबंदी को 4 सप्ताह के लिए बढ़ा दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मामले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि आरोपी खुद जांच एजेंसी नहीं चुन सकते हैं. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने यह सुनवाई की.
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपियों को राहत चाहिए तो उन्हें ट्रायल कोर्ट जाना होगा. न्यायालय ने मामले की एफआईआर रद्द करने से भी मना कर दिया. साथ ही पुणे पुलिस को मामले की जांच आगे बढ़ाने को कहा है. बता दें कि पांचों आरोपी वरवरा राव, अरुण फरेरा, वरनॉन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा 29 अगस्त से अपने-अपने घरों में नजरबंद हैं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा था कि अगर किसी प्रभावित क्षेत्र में लोगों का हाल जानने भेजा जाता है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो प्रतिबंधित संगठन के सदस्य हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि हमें सरकार का विरोध, तोड़फोड़ व गड़बड़ी फैलाने वालों के बीच के अंतर को साफ़ तौर पर समझना होगा.
सरकार की ओर से पेश रिपोर्ट में यूनिवर्सिटीज और सामाजिक संस्थाओं के नाम शामिल हैं, क्या ये सभी शामिल हैं? सरकार से असहमति रखना और गड़बड़ी फैलाना या तख्ता पलट की कोशिश दो अलग-अलग बातें हैं. हमारे संस्थानों, यहां तक कि कोर्ट को भी इतना मजबूत होना चाहिए कि वो विरोध को सहन कर सके.
केवल अनुमान के आधार पर लिबर्टीज का गला नहीं घोंटा जा सकता है.महाराष्ट्र सरकार की ओर से ASG तुषार मेहता ने कहा था कि सभी आरोपियों के खिलाफ मामले में पुख्ता सबूत हैं. एफआईआर में छह लोगों के नाम हैं लेकिन किसी की भी तुरंत गिरफ्तारी नहीं की गई थी.
शुरुआती जांच में सबूत सामने आने पर छह जून को एक गिरफ्तारी हुई जिसे कोर्ट में पेशकर के रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई. कोर्ट से सर्च वांरट लिया गया था. जांच की निगरानी डीसीपी व सीनियर अधिकारी ने की थी.जब्त किए गए कंप्यूटर लैपटाप व पेनड्राइव को फॉरेंसिक जांच के लिए लैब भेजा गया.
पूरी सर्च की वीडियोग्राफी करवाई गई. आरोपी सीपीआई माओवादी संगठन से जुड़े है और ये प्रतिबंधित संगठन है. तुषार मेहता ने कहा था कि कोर्ट जब दस्तावेजों में हमे रोना विल्सन की तस्वीर मिली. उसमें रोना के साथ दिख रहा शख्स छत्तीसगढ़ में 40 लाख और महाराष्ट्र में 50 लाख के इनाम वाला आरोपी है.
मेहता ने कहा था कि कोर्ट आरोपियों की दलील सुनकर अपना विचार न बनाए. सरकार की भी पूरी बात सुननी चाहिए.भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच कर रही पुणे पुलिस ने मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और रांची में एक साथ छपेमारी कर घंटों तलाशी ली थी और फिर 5 लोगों को गिरफ्तार किया था.
पुणे पुलिस के मुताबिक सभी पर प्रतिबंधित माओवादी संगठन से लिंक होने का आरोप है. जबकि मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे सरकार के विरोध में उठने वाली आवाज को दबाने की दमनकारी कार्रवाई बता रहे हैं.