दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में कांग्रेस की स्टूडेंट इकाई NSUI को बड़ी कामयाबी मिली है. NSUI ने अध्यक्ष पद समेत तीन बड़े पदों पर कब्जा जमाया है. अध्यक्ष पद की रेस में NSUI के रॉकी तुसीद ने ABVP के रजत चौधरी को हराया है. इसके अलावा NSUI ने उपाध्यक्ष, ज्वाइंट सेकेट्ररी पद पर भी कब्जा किया है. जबकि एबीवीपी को बड़ा झटका लगा है, ABVP सिर्फ सेकेट्ररी पद पर ही कब्जा जमा पाई है.
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के नतीजे आज सामने आ जाएंगे. गिनती अभी भी जारी है. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और ज्वाइंट सेकेट्ररी के पद पर लीड कर रही है, वहीं एबीवीपी सेकेट्ररी पद पर आगे चल रही है.चुनाव में डीयू के छात्रों ने बढ़ चढ़कर मतदान किया. पिछले साल जहां डूसू चुनाव में 36.9 फीसद वोट पड़े थे, तो वहीं इस साल मॉर्निंग कॉलेज के 32 कॉलेजों में ही कुल 44 फीसद वोट डाले गए.
चुनाव समिति के मुताबिक मॉर्निंग कॉलेज के 77,379 छात्र-छात्राओं में से 34,051 छात्र-छात्राओं ने चुनाव में मतदान किया. मॉर्निंग कॉलेजों में मतदान की शुरुआत थोड़ी धीमी रही. हालांकि 11 बजे के बाद मतदान करने वाले छात्रों की भीड़ कैंपस में नज़र आयी.डीयू के ऑफ कैंपस कॉलेज में कैंपस कॉलेज के मुकाबले ज्यादा मतदान हुआ.
चुनाव को लेकर इवनिंग कॉलेज के स्टूडेंट्स ने भी बड़ी तादाद में हिस्सा लिया.डूसू चुनाव को देखते हुए डीयू को पूरी तरह छावनी में तब्दील कर दिया गया था. सभी 51 मतदान केंद्रों के बाहर पुलिस की तैनाती थी.बोगस वोटिंग न हो इसलिए बिना आई कार्ड किसी को भी कॉलेज के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी.
डूसू चुनाव में पहली बार मतदान करने वाले छात्रों का उत्साह साफ नजर आया.एक तरफ जहां उम्मीदवार आखिरी समय तक वोट अपील करने में जुटे हुए थे तो वहीं छात्र संगठनों से जुड़ी राजनीतिक हस्तियां और पूर्व डूसू पदाधिकारी भी अपने-अपने पैनल के लिए चुनाव प्रचार करते दिखे.दरअसल डूसू के इस दंगल में एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच सीधा मुक़ाबला है.
पिछले साल एबीवीपी ने डूसू के सेंट्रल पैनल में 4 में से 3 सीटों पर कब्ज़ा जमाया था.पिछले 4 साल से एबीवीपी डूसू पर काबिज़ है ऐसे में रामजस कॉलेज विवाद के बाद एवीबीपी के लिए डूसू का दंगल जीतना किसी चुनौती से कम नहीं है.डूसू के इस दंगल में एनएसयूआई पिछले 4 साल से हार का सामना कर रही है.
हालांकि पिछले साल जॉइंट सेक्रटरी के पोस्ट पर NSUI के मोहित गरीड़ ने बाज़ी मारी थी.एनएसयूआई को उम्मीद है कि इस साल डूसू जीतने में वो कामयाब होंगे, लेकिन चुनाव से ठीक पहले एनएसयूआई के प्रेसिडेंड कैंडिडेट रॉकी तुषीद का नॉमिनेशन रद्द होने के बाद एनएसयूआई को दूसरी उम्मीदवार अलका के लिए प्रचार करना पड़ा.
लेकिन फिर रॉकी तुषीद के पक्ष में हाई कोर्ट का फैसला आने पर एनएसयूआई का प्रेसिडेंड कैंडिडेट बदलने पर डीयू के छात्रों के बीच असमंजस की स्थिति बन गई. हालांकि सोशल मीडिया कैम्पेन के जरिये एनएसयूआई ने प्रेसिडेंड पोस्ट के लिए जमकर प्रचार किया. लेकिन एनएसयूआई को ये डर जरूर सता रहा है कि कहीं छात्रों का ये संशय उन्हें डूसू चुनाव में भारी न पड़े.