अजीत डोभाल ने बीजिंग में चीन के एनएसए यांग जिआची से मुलाकात की। डोभाल शुक्रवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मिलेंगे। यांग और डोभाल भारत-चीन बॉर्डर मैकेनिज्म में स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव हैं। बता दें कि डोकलाम में 41 दिन से भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हैं। ये इलाका एक ट्राई जंक्शन (तीन देशों की सीमाएं मिलने वाली जगह) है।
चीन यहां सड़क बनाना चाहता है, लेकिन भारत और भूटान इसका विरोध कर रहे हैं।ब्रिक्स के मेंबर पांचों देशों के एनएसए के साथ डोभाल भी जिनपिंग से मिलेंगे। यह बात बुधवार को ऑफिशियल कन्फर्म हो गई। मीटिंग में ब्रिक्स देशों के सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा होगी।बता दें कि भारत और चीन के अलावा ब्राजील, रूस और साउथ अफ्रीका भी ब्रिक्स में शामिल हैं। अभी चीन इसका अध्यक्ष है।
सितंबर में ब्रिक्स सम्मेलन भी चीन के जियामेन शहर में होगा। ब्रिक्स के एनएसए की मीटिंग 27 और 28 जुलाई को होनी है।चीन ने बुधवार को फिर कहा था कि जब तक भारत की सेना डोकलाम से पीछे नहीं हटती, तब तक कोई भी बातचीत संभव नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कंग ने यह शर्त दोहराते हुए सीमा पर तीन हजार से ज्यादा सैनिक तैनात करने संबंधी रिपोर्ट पर कोई भी कमेंट करने से इनकार कर दिया।
इस बीच, चीन के सरकारी मीडिया ने आरोप लगाया है कि अमेरिका और अन्य देश भारत-चीन विवाद को हवा देने की कोशिश कर रहे हैं। ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि अमेरिका साउथ चाइना सी मसले पर चालाकी से काम ले रहा है और भारत-चीन विवाद को भड़काने में अपना रणनीतिक फायदा देख रहा है।
ये विवाद 16 जून को तब शुरू हुआ था, जब इंडियन ट्रूप्स ने डोकलाम में चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था। हालांकि चीन का कहना है कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा है। भारत ने 16 जुलाई को सख्त रुख अपनाते हुए कहा था कि वह इस इलाके में पीछे नहीं हट सकता। डोकलाम में चीन को सड़क बनाने नहीं दिया जाएगा।
भारत ने चीन की इस वॉर्निंग को नजरअंदाज कर दिया है कि भारत अपने सैनिक वहां से तुरंत वापस बुला ले, नहीं तो स्थिति और बिगड़ सकती है।इंडियन डिफेंस मिनिस्ट्री की तरफ से कहा गया है कि जब तक चीन के सैनिक सड़क निर्माण से पीछे नहीं हटते, भारतीय सैनिक नॉन काम्बैट मोड में डोकलाम में डटे रहेंगे।
उधर, चीनी मीडिया ने कहा है कि भारत के साथ बातचीत की पूर्व शर्त भारतीय सैनिकों का डोकलाम से पीछे हटना है। इस मामले में मोलभाव के लिए कोई जगह नहीं है।इंडियन आर्मी के जवानों ने चीनी सैनिकों के अड़ियल रवैये को देखते हुए सिक्किम के डोकलाम इलाके में 9 जुलाई से अपने तंबू गाड़ रखे हैं। बॉर्डर पर दोनों देशों की 60-70 सैनिकों की टुकड़ी 100 मीटर की दूरी पर आमने-सामने डटी हैं। दोनों ओर की सेनाएं भी यहां से 10-15 km की दूरी पर तैनात हैं।
नई दिल्ली ने चीन को बताया है कि चीन के सड़क बनाने से इलाके की मौजूदा स्थिति में अहम बदलाव आएगा, भारत की सिक्युरिटी के लिए ये गंभीर चिंता का विषय है। रोड लिंक से चीन को भारत पर एक बड़ी मिलिट्री एडवान्टेज हासिल होगी। इससे नॉर्थइस्टर्न स्टेट्स को भारत से जोड़ने वाला कॉरिडोर चीन की जद में आ जाएगा।
इस एरिया का भारत में नाम डोका ला है जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहा जाता है। चीन दावा करता है कि ये उसके डोंगलांग रीजन का हिस्सा है। भारत-चीन का जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3488 km लंबा बॉर्डर है। इसका 220 km हिस्सा सिक्किम में आता है।