अब मध्य प्रदेश सरकार ने पेट्रोल और डीजल किया सस्ता

मध्यप्रदेश ने पेट्रोल पर 3% और डीजल पर 5% तक VAT (वैल्यु एडेड टैक्स) घटा दिया है। इस फैसले के बाद राज्य में पेट्रोल 77.13 रुपए में और डीजल 59.37 रुपए में मिलेगा। नए रेट्स शुक्रवार रात से लागू हो जाएंगे। बता दें कि मध्यप्रदेश ऐसा करने वाला देश का एनडीए शासित चौथा राज्य बन गया है। इससे पहले महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तराखंड ने कुछ दिन पहले VAT घटाने का फैसला लिया था।

वहीं, कांग्रेस शासित हिमाचल में भी कम किया गया है। बता दें कि देश के 29 राज्यों में से 17 में एनडीए का शासन है।मध्यप्रदेश सरकार की कैबिनेट मीटिंग में गुरुवार को यह फैसला लिया गया। वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कहा कि सरकार के इस फैसले के बाद पेट्रोल 1.70 रुपए और डीजल 4 रुपए सस्ता हो जाएगा। बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले दिनों राज्यों से 5% तक VAT घटाने की अपील की थी।

मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के बाद अब दूसरे राज्यों पर पेट्रोल और डीजल VAT घटाने का दवाब बढ़ गया है।सरकार के इस फैसले से महाराष्ट्र और गुजरात राज्य की सीमा के पेट्रोल पंंप मालिकों ने राहत की सांस ली है। इन राज्यों में पेट्रोल सस्ता होने से इनकी ग्राहकी पर असर पड़ रहा था।वित्त मंत्री ने कहा-पेट्रोल और डीजल पर पांच फीसदी वैट कम करना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन विचार हो रहा है कि किस फार्मूले से कम किया जाए, ताकि राजस्व का नुकसान कम से कम हो।

गुजरात सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला टैक्स (VAT) 4% घटाया। चुनाव से पहले सरकार के इस फैसले से राज्य में पेट्रोल 2.93 रुपए और डीजल 2.72 रुपए सस्ता हो गया है।वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में क्रमशः 2 रुपए और 1 रुपए की कमी का फैसला किया।

कुछ दिन पहले कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश ने भी पेट्रोल और डीजल पर 1% वैट घटाने का फैसला लिया था। हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा है कि फैसले से जनता को राहत मिलेगी।देश में कुल 29 राज्य हैं। इसमें से 17 राज्यों में बीजेपी की सरकार है। इन राज्यों में हैं एनडीए की सरकार: महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, गुजरात, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, गोवा, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और बिहार।

पेट्रोल-डीजल की कीमतें तीन महीने से बढ़ रही थीं। 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने पहली बार 3 अक्टूबर को एक्साइज ड्यूटी में कमी की थी। इसकी वजह से पेट्रोल और डीजल 2 रुपए प्रति लीटर सस्ता हो गया था।दिल्ली में 3 अक्टूबर को पेट्रोल 70.88 रुपए प्रति लीटर, जबकि डीजल 59.14 रुपए प्रति लीटर था। एक्साइज ड्यूटी कम करने से सरकार को एक साल में 26 हजार करोड़ रुपए का घाटा होगा।

अगर इस फाइनेंशियल ईयर के बचे हुए महीनों (31 मार्च 2018 तक) की बात करें तो यह घाटा 13 हजार करोड़ रुपए होगा।सरकार ने नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच 9 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई। जुलाई के बाद से ही पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ रहे थे, लेकिन सरकार ने जब एक्साइज ड्यूटी नहीं घटाई तो उसकी आलोचना होने लगी।

पेट्रोल-डीजल की कीमतें तीन महीने से बढ़ रही थीं। 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने पहली बार 3 अक्टूबर को एक्साइज ड्यूटी में कमी की थी। इसकी वजह से पेट्रोल और डीजल 2 रुपए प्रति लीटर सस्ता हो गया था।दिल्ली में 3 अक्टूबर को पेट्रोल 70.88 रुपए प्रति लीटर, जबकि डीजल 59.14 रुपए प्रति लीटर था। एक्साइज ड्यूटी कम करने से सरकार को एक साल में 26 हजार करोड़ रुपए का घाटा होगा।

अगर इस फाइनेंशियल ईयर के बचे हुए महीनों (31 मार्च 2018 तक) की बात करें तो यह घाटा 13 हजार करोड़ रुपए होगा।सरकार ने नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच 9 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई। जुलाई के बाद से ही पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ रहे थे, लेकिन सरकार ने जब एक्साइज ड्यूटी नहीं घटाई तो उसकी आलोचना होने लगी।

कुल मिलाकर बीते 15 महीने में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 11.77 प्रति लीटर और डीजल पर 13.47 रुपए प्रति लीटर बढ़ाई गई। 2014-15 में इससे सरकार को 99,000 हजार करोड़ रुपए मिले, जबकि 2016-17 में यह आंकड़ा 242,000 लाख करोड़ हो गया।दिल्ली में 3 अक्टूबर को जो पेट्रोल का रेट था, वो अगस्त 2014 के बाद सबसे ज्यादा था।

डीजल के रेट सितंबर 2013 के बाद सबसे ज्यादा रहे।भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी ऑयल इम्पोर्ट करता है। सरकार 2002 से ही यह कोशिश कर रही है कि देश में पेट्रो प्रोडक्ट्स के रेट इंटरनेशनल मार्केट के हिसाब से तय किए जाएं।

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