भारत में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट डेल्टाक्रॉन ने दस्तक दे दी है और महाराष्ट्र-दिल्ली समेत 7 राज्यों में 568 मामले जांच के दायरे में हैं. इस बीच राहत की खबर है और नोवावैक्स वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है. नोवावैक्स ने भारत में 12-18 साल के बच्चों के लिए अपनी कोविड-19 वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी की घोषणा की है.
नोवावैक्स द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, वैक्सीन को NVX-CoV2373 के रूप में भी जाना जाता है. भारत में इस वैक्सीन का निर्माण पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया गया है और इसको कोवोवैक्स ब्रांड के तहत लॉन्च किया गया है. यह पहला प्रोटीन-आधारित वैक्सीन है, जो भारत में इस आयु वर्ग में उपयोग के लिए अधिकृत किया गया है.
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में SARS-CoV-2 के कारण होने वाले कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए सक्रिय टीकाकरण के लिए कोवोवैक्स Covovax के आपातकालीन स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग की अनुमति दी है. बता दें कि डीसीजीआई ने 28 दिसंबर को 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वयस्कों के लिए कोवोवैक्स के आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दी थी.
इससे पहले दिसंबर महीने के शुरुआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोवोवैक्स के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी थी.नोवावैक्स के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टेनली सी एर्क ने कहा हमें बच्चों के लिए इस वैक्सीन की पहली मंजूरी मिलने पर गर्व है. हमारे आंकड़ों से पता चलता है कि इस वैक्सीन की प्रभावकारिता और सुरक्षा भारत में 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए एक वैकल्पिक प्रोटीन-आधारित वैक्सीन का विकल्प प्रदान करेगी.
वहीं सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने कहा भारत में 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए कोवोवैक्स की मंजूरी भारत और निम्न एवं मध्यम आय वाले देश में हमारे टीकाकरण प्रयासों को मजबूत करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. हमें अपने देश के किशोरों के लिए एक अनुकूल सुरक्षा प्रोफाइल के साथ प्रोटीन-आधारित कोविड-19 वैक्सीन देने पर गर्व है.
नोवावैक्स एक प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है और यह अन्य टीकों से बिल्कुल अलग है. प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन में एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिससे वे रक्षा करते हैं. ऐसे में कोरोना वायरस से बचाव के लिए इनमें स्पाइक प्रोटीन होते हैं, जो वायरस की सतह को ढक लेते हैं, जिसे इम्यून सिस्टम आसानी से पहचान सकता है.
जब वास्तविक वायरस का सामना होता है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली में ऐसे बचाव होते हैं जो वायरस के इन बाहरी हिस्सों पर हमला करने और इसे जल्दी से नष्ट करने के लिए प्रशिक्षित होते हैं. वहीं स्पाइक प्रोटीन अपने आप में हानिरहित, कोविड संक्रमण पैदा करने में असमर्थ होते हैं. यह कीट कोशिकाओं के भीतर, पेचीदा रूप से बनते हैं. फिर प्रोटीन को शुद्ध किया जाता है और एक सहायक घटक में जोड़ा जाता है जो इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है.