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प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पर नीतीश का बयान

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जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने साफ किया कि वह प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं. लेकिन उत्प्रेरक की भूमिका हमेशा निभायेंगे ताकि गैर भाजपायी दलों में एकजुटता आ सके.पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में शनिवार को आयोजित जदयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के दौरान नीतीश के पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचन पर मुहर लगायी गयी.नीतीश ने कहा कि जब गैर भाजपायी दलों की एकजुटता की बात करते हैं तो उनपर कितना प्रहार हो रहा है. ‘संघ मुक्त भारत’ के पक्षधर पार्टियों को एकजुट होने बयान पर क्या-क्या नहीं कहा जा रहा है. वह नेतृत्व या सर्वोच्च पद (प्रधानमंत्री) की दावेदारी कहां कर रहे हैं.

वह तो लोगों से सिर्फ एकजुट होने के लिए कह रहे हैं और इसके लिए कोशिश करते रहेंगे…लोकतंत्र में लोगों को एकजुट करना क्या गुनाह है.
नीतीश ने 1957 में केंद्र सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का उदाहरण देते हुए कहा कि आज जो भाजपा को भ्रम हो गया है कि अब उनका पूरा का पूरा वर्चस्व है और अगर वह लोग एकजुट होकर आपसी तालमेल बनाएंगे तब इनका मुकाबला ठीक ढंग से हो सकेगा. यह राय प्रकट करना कोई गुनाह है कि आज जदयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पारित प्रस्ताव में भी यही बात शामिल हैं.


     
नीतीश ने कहा कि विलय को लेकर बहुत सारी बातें की जाती हैं. विलय, गठबंधन, तालमेल अथवा आपसी समझ हो जो कुछ भी संभव है वह हो, जितनी अधिक से अधिक संभावना है. एकजुटता का प्रयास किया जाना चाहिए और यह काम वह करते रहेंगे क्योंकि उनका इसमें कोई अपना स्वार्थ नहीं है.उन्होंने कहा कि वे मीडिया के लोगों से हाथ जोडकर विनम्र प्रार्थना करना चाहते हैं कि हम गरीब घर में पैदा हुए हैं. बिहार को आगे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं…पहले भाजपा वाले भी उन्हें पीएम मेटेरियल कह दिया करते थे आज भी आपलोग कहलवा देते हैं.

कृपया करके इतना अन्याय न करें. हमने न तो बिहार के साथ कभी अन्याय किया है और न ही राष्ट्रीय स्तर पर कोई जिम्मेदारी मिली है तो किसी पद पर आसीन (सांसद या मंत्री) होकर अन्याय किया है.नीतीश ने कहा कि देश की राजनीति नहीं चलती क्योंकि बिहार का पुख्ता प्रमाण है. महागठबंधन की रणनीति से वे चारों खाने चित हुए हैं. इसी रणनीति से देश में वे चारों खाने चित होंगे. यही तो हम कह रहे हैं. कौन नेता बनेगा यह तो समय की चीज है. इसलिए कृपा करके इस बहस को मत गलत रूप दीजिए.
    
उन्होंने कहा कि जदयू की आवाज में इतना नैतिक बल और दम हैं तो इसमें परेशानी क्यों हो रही है.नीतीश ने कहा कि संघ (आरएसएस) की राजनीतिक शाखा भाजपा जिस प्रकार की राजनीति कर रही और जिस प्रकार से देश को चलाने की कोशिश कर रहे हैं. उसके कारण आज देश के सामने जिस प्रकार की चुनौती खडी हुई है उसका सभी गैरभाजपाई दलों को एकजुट होकर मुकाबला करना होगा.
    
उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कालाधन वापस लाने, किसानों को उनकी लागत से डेढ़ गुना उनके फसल का दाम दिए जाने तथा युवाओं को रोजगार दिए जाने साहित अन्य कई वादों को भाजपा भूल गयी और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कह दिया कि ये तो ‘जुमला’ था. न कालाधन आया, न युवाओं को रोजगार मिल रहा है और न ही किसानों को उनकी लागत पर पचास प्रतिशत जोडकर उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है. 
    
उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब है. बैंकों की हालत खस्ता है. किस तरह से उनका पैसा डूब रहा है. बडे-बडे लोगों ने उनका पैसा ले लिया. एक उदाहरण सामने आया है. ऐसे अनेकों होंगे जो कि बैंक की राशि लेकर बैठे हुए हैं.नीतीश ने केंद्र की वर्तमान सरकार के कार्यकाल में देश में अर्थिक स्थिति में सुधार की गुंजाइश नहीं होने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्यों पर केंद्र सरकार आर्थिक बोझ बढा रही है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्र का हिस्सा कम करके राज्यों का हिस्सा बढ़ा रहे हैं.

ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में केंद्र ने अपनी हिस्सेदारी घटा दी और मनरेगा एवं प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना सहित आम लोगों की जरूरतों को पूरा करने वाली योजनाओं पर उनका ध्यान नहीं है.उन्होंने आरोप लगाया कि देश की अर्थव्यवस्था चरमारा रही है और वायदे पूरी नहीं हो रहे हैं तो ऐसी स्थिति में इनके पास एक ही शगूफा है कि समाज और लोगों को धर्म और मजहब के नाम पर बांटो. कभी लव जिहाद, कभी घर वापसी तो कभी गोमांस का मुद्दा और अब देशभक्ति के नाम पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं.

नीतीश ने कहा कि इस देश में कौन देश भक्त नहीं है और जो देश भक्त नहीं है उसे देश में रहने का अधिकार नहीं है पर जो देश की आजादी की लडाई में जो हिस्सा नहीं लेता वह आज देशभक्ति का प्रमाणपत्र बांटेगा. तिरंगा राष्ट्रध्वज बना उसमें भाजपा और उनके पुरखों की कौन सी भूमिका है इसलिए आप कौन होते हैं किसी दूसरे के बारे में कुछ कहने वाले. आपको कोई नैतिक अधिकार नहीं है. देश की आजादी की लडाई में हिस्सा नहीं लिया और आज देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं.
    
उन्होंने कहा कि देशभक्ति जरूरी है और हम सब देशभक्त हैं लेकिन हमकों अपनी देशभक्ति का प्रमाणपत्र संघ और भाजपा तथा अन्य लोगों से नहीं लेना है. हम राष्ट्रवादी हैं पर हमें अपने राष्ट्रवाद का प्रमाणपत्र इनसे नहीं लेना है. हम भारत में पैदा हुए हैं और भारत के हैं तथा भारत में ही अपनी जान देंगे. लेकिन चारों तरफ आवाज को दबाने तथा समाज को बांटने की कोशिश हो रही है.
    
नीतीश ने आरोप लगाया कि यह झूठा आश्वासन देते हैं कि वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाएगी. आज कितनी है किसान की आमदनी. ये बताएं कि वर्ष 2019 तक किसान की आमदनी क्या होगी. आज औसतन किसान की आमदनी 3000 रूपये से 3500 रूपये प्रतिमाह है. देश में इससे कृषि का विकास संभव नहीं है.
    
उन्होंने भाजपा पर नारा देने में महारत रखने का आरोप लगाते हुए कटाक्ष किया, ‘‘कभी स्टैंड अप इंडिया का नारा देते हैं जो कुछ दिन के बाद सिट डाउन इंडिया हो जायेगा. फिर आ जाएगा ले डाउन इंडिया उसके बाद स्लीप फार एवर इंडिया. क्या नारे देते जा रहे हैं, नारों को कुछ हकीकत में भी बदलिये.नीतीश ने कहा कि बिहार में जिस प्रकार से बिहार में जो रणनैतिक तथा महागठबंधन को जो राजनीतिक सफलता (हाल में संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव में) मिली उस आधार पर गैर भाजपायी दलों की एकजुटता की सोच विकसित होगी.
    
नीतीश ने कहा कि अगर बिहार में लालू जी और वह त्याग नहीं करते तो महागठबंधन बन जाता क्या. सबने त्याग किया तब यह महागठबंधन बना…और अगर लक्ष्य है एक समय में एक चीज का मुकाबला होगा. भाजपा की नीतियों का मुकाबला करना चाहते हैं तो आपस में मुकाबला मत कीजिए. कोई फायदा नहीं होगा, इसलिए मिलकर चलना होगा और यही उनकी राजनीतिक लाइन है.

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