मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर एक बार फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है.उन्होंने कहा कि बिहार के विकास की गति को तेज कर मजबूत और विकसित भारत बनाने के लिए केंद्र सरकार को राज्य की इस मांग को स्वीकार करना चाहिए.उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नीयत साफ नहीं है, वह बिहार के लोगों को धोखे में रखना चाहती है. लोकसभा चुनाव के दौरान विशेष दर्जा देने की बात कहना और उसके बाद मुकर जाना और खुलेआम यह कहना कि विशेष राज्य का दर्जा नहीं देंगे, यह बिहार के लोगों के साथ धोखा है.
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को लिखे पत्र की प्रति बृहस्पतिवार को मीडिया में जारी की, जिसमें उन्होंने कहा है कि बिहार के लिए हाल ही में घोषित किये गये एक लाख 25 हजार करोड़ रुपये के विशेष पैकेज में एक लाख आठ हजार करोड़ रुपये पुरानी या पहले से चल रही योजनाओं का ही हिस्सा हैं. इस पैकेज में यह भी कहीं स्पष्ट नहीं है कि पैकेज की राशि को अगले पांच वर्ष में दिया जायेगा या उससे भी अधिक समय लगेगा.
उन्होंने कहा कि इस पैकेज से बिहार के विकास में अपेक्षित तेजी नहीं आयेगी, इसलिए राज्य के विकास की गति को तेज कर मजबूत और विकसित भारत बनाने के लिए केंद्र सरकार को विशेष दर्जे की मांग को स्वीकार करना चाहिए. बिहार के विकास की गति में तेजी लाये जाने के लिए विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना जरूरी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने इस मुद्दे को लेकर अनगिनत चिट्ठियां लिखी हैं. हर बार विशेष राज्य के दज्रे की बात को उठाया है. बिहार सरकार की तरफ से मैंने प्रधानमंत्री से विशेष राज्य के दर्जा के संबंध में मुलाकात की, फिर वित मंत्री से दो-दो बार मुलाकात की. हमने पूरी बात रखी है, हर विषय पर अपना ज्ञापन दिया है.
सर्वदलीय बैठक में जो सहमति बनी थी, उसके आधार पर ज्ञापन दिया गया है. विशेष सहायता बीआरजीएफ का हमारा पैसा जिसकी सिफारिश नीति आयोग ने भी कर दी है, उसे दिया जाना चाहिये. यह पुराना कमिटमेंट है, इसे चालू रखना चाहिये. इसके बाद भी अब तक नहीं चालू हुआ. कोऑॅपरेटिव फेडरलिज्म की बात की जा रही है. पॉलिटिकल प्लेटफॉर्म से पिछली बार राज्य के विशेष दज्रे की भी बात कही गयी, उसका क्या हश्र हुआ. यह गलत प्रैक्टिस है, यह सही परंपरा नहीं है. अगर कोऑॅपरेटिव फेडरलिज्म की बात करते हैं तो राज्य सरकार को इगनोर नहीं करना चाहिये.वास्तविकता यही है कि भाजपा विधानसभा चुनाव में जनता से लाभ लेना चाहती है लेकिन लाभ मिलेगा कैसे. जितनी बात कही गयी है, उस पर अमल नहीं किया तो क्या लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि जनता के बीच में बजाप्ता इनलोगों ने लोकसभा चुनाव के पहले जो कहा था, उसका हम ऑडियो जनता को सुना रहे हैं.