त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में 78.56% मतदान हुआ। जो पिछले चुनाव की तुलना में 18% कम है। पिछली बार त्रिपुरा में 91.82% मतदान हुआ था। 59 सीटों के लिए हुई वोटिंग में 292 उम्मीदवार मैदान में थे। रिजल्ट 3 मार्च को आएगा। राज्य में 60 सीटें हैं। लेकिन माकपा कैंडिडेट रामेंद्र नारायण देब बर्मा के निधन के चलते चारिलाम सीट पर मतदान नहीं हुआ। यहां 12 मार्च को वोटिंग होगी।
चीफ इलेक्टोरल अफसर श्रीराम तरणीकांता ने वोटिंग को संतोषजनक बताया। उन्होंने कहा कि प्रजाइडिंग फिसर के ईवीएम मशीनों को रिफ्रेश करना भूल गये थे जिससे करमचेरा विधानसभा क्षेत्र के एक पोलिंग स्टेशन पर फिर से वोटिंग कराए जाने की संभावना है।सीएम माणिक सरकार ने चुनावों को शांतिपूर्ण बताया और कहा कि तकनीकी समस्या वीवीपैट मशीनों के कारण आई।
मतदान के लिए 29 हजार 700 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे और 31 हजार 402 कर्मी लगाए गए थे।कुछ पोलिंग बूथ पर 180 ईवीएम में खराबी की शिकायतें मिलीं। 12 बैलट यूनिट बदलनी पड़ीं। पहली बार त्रिपुरा में सभी पोलिंग बूथों पर VVPAT (वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) का इस्तेमाल किया गया।
40 विधानसभा क्षेत्रों के लगभग 100 पोलिंग स्टेशनों में ईवीएम और वीवीपैट मशीनों में तकनीकी खराबी के कारण वोटिंग रात नौ बजे तक हुई।राज्य में 25 साल से लेफ्ट (सीपीएम) सत्ता में है, लेकिन इस बार उसे बीजेपी से चुनौती मिल सकती है। हालांकि, पिछले चुनाव में बीजेपी खाता भी नहीं खोल पाई थी।
सुबह 7 बजे वोटिंग शुरू हुई। 11 बजे तक 23.45% वोट डाले गए।दोपहर एक बजे तक राज्य में 45.86% वोटिंग हुई। दोपहर 3 बजे तक 65% मतदान हुआ।शाम 4 बजे आधिकारिक तौर पर वोटिंग का वक्त पूरा हुआ। तब वोटिंग प्रतिशत 74% था।हालांकि, कुछ पोलिंग स्टेशनों पर वोटर्स की कतारें लगी होने पर उन्हें पर्चियां बांटी गईं, रात 9 बजे तक वोटिंग हुई।
60 सीटों के लिए कुल 307 कैंडिडेट चुनाव लड़ रहे हैं।सीपीएम पर 57 और लेफ्ट फ्रंट 3 सीटों पर।बीजेपी 51 सीटों पर औैर सहयोगी पार्टी आईपीएफटी 9 पर मैदान में है।कांग्रेस 59 सीट पर चुनाव लड़ रही है। एक सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारा।टीएमसी ने चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली। उसके 25 कैंडिडेट हैं।
त्रिपुरा के चुनाव में इस बार 25,73,413 लोग वोट करेंगे। इनमें 13,05,375 पुरुष, 12,68,027 महिलाएं और 11 थर्ड जेंडर हैं।47,803 वोटर पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।जातिगत समीकरण के लिहाज से 70% वोटर बंगाली और अन्य, 30% वोटर आदिवासी (शेड्यूल ट्राइब) हैं।
विधानसभा की कुल 30 सीटें आरक्षित हैं। 20 अनूसूचित जनजाति (एससी), 10 अनूसूचित जाति (एससी) और 30 सामान्य सीटें हैं।20 सीटों पर आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। यहां आरएसएस सक्रिय रहा, पिछले 4 साल में इनके बीच बीजेपी का जनाधार बढ़ा। दो विधानसभा चुनाव में महिलाएं राज्य में वोटिंग के मामले में पुरुषों से आगे रही हैं।
2013 में कुल 91.82% वोटिंग हुई। महिलाओं की वोटिंग 92.94%, जबकि पुरुषों की वोटिंग 90.73% रही थी।2008 में कुल 91.22% वोटिंग हुई थी। इसमें पुरुषों की वोटिंग 90.74% और महिलाओं की 91.72% रही थी।त्रिपुरा में पिछले 5 चुनावों में हर बार 78% से ज्यादा वोट पड़े। सबसे ज्यादा 91% वोटिंग पिछले चुनाव में हुई थी।
त्रिपुरा में पिछले 20 साल से माणिक सरकार मुख्यमंत्री हैं। जनता के बीच उनकी छवि साफ-सुथरी रही है।बीजेपी ने सीएम कैंडिडेट के लिए किसी के नाम का एलान नहीं किया।पिछले 5 विधानसभा चुनावों में सीपीएम को चुनौती देने वाली कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) इस बार हाशिए पर हैं। बीजेपी दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है।तृणमूल के 6 विधायक चुनाव से पहले ही बीजेपी में शामिल हो गए थे। इसलिए पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने त्रिपुरा चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली।