मजदूर संगठनों की आज होने वाली देशव्यापी हड़ताल में लगभग 20 करोड़ श्रमिकों के शामिल होने से जरूरी सेवाओं पर गहरा असर पड़ सकता है.रेल और अस्पताल-जैसी जरूरी सेवाओं को इससे अलग रखा गया है.हालांकि राज्य परिवहन निगमों और निजी बस ऑपरेटरों के भी इस हड़ताल में शामिल रहने का दावा किया जा रहा है. अगर ऐसा हुआ तो बसों का भी चक्का थम जाएगा.मजदूर संगठनों की शिकायत है कि एक तरफ सरकार महंगाई कम करने में विफल रही है.
दूसरी तरफ श्रमिकों को उचित मजदूरी और पेंशन -जैसी सुविधाएं नहीं दे रही है. न्यूनतम मजदूरी 18 हजार के स्थान पर सिर्फ 9100 रु पए किए जाने से गुस्सा और ज्यादा है. सेना और रेल में एफडीआई व श्रम कानूनों को कमजोर किया जाना भी हड़ताल के विषय हैं. भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर सारे मजदूर संगठन इस हड़ताल को सफल बनाने के लिए एकजुटता भी प्रदर्शित कर रहे हैं.
बस, ऑटो नहीं चलेंगे. बड़े शहरों में टैक्सी भी नहीं चलेगी. इस वजह से कई राज्यों में स्कूलों में स्थानीय स्तर पर अवकाश घोषित किया गया है. पेट्रोल पंप और गैस एजेंसी बंद रहेंगी. सारे सरकारी और कुछ निजी क्षेत्र के बैंक, बीमा कम्पनियों के दफ्तर और सरकारी टेलीफोन निगम, राज्य बिजली बोर्ड,पीएसयू (गेल, ओएनजीसी, एनटीपीसी, भेल) में कर्मचारी काम पर नहीं आएंगे.
रक्षा सामान बनाने वाली इकाइयों में भी काम ठप रहेगा. सरकारी कम्पनियों की कोयला खदानों पर भी काम नहीं होगा. बन्दरगाह और विमानतल पर भी छोटे कर्मचारियों के काम पर नहीं आने से कुछ सेवाओं पर असर पड़ सकता है.अस्पताल, दवा की दुकान और रेल सेवाओं को आपात सेवा मानकर हड़ताल से बाहर रखा गया है.
पिछले साल भी मजदूर संगठनों ने 2 सितम्बर को हड़ताल रखी थी.पिछले साल हड़ताल के बाद औधोगिक संगठन एसोचेम ने यह अनुमान लगाया था कि 25 हजार करोड़ का देश को नुकसान हुआ था. इस बार इससे ज्यादा नुकसान होने की बात की जा रही है. हालांकि रु पयों में इसे अभी कोई नहीं बता पा रहा है.