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विक्रमादित्य पर कांफ्रेंस कर मोदी ने रचा इतिहास

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां से 40 नौटिकल मील दूर अरब सागर में संयुक्त कमांडर्स कांफ्रेंस की अध्यक्षता की। यह कान्फ्रेंस नौसेना के आधुनिकतम विमान वाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य पर आज सुबह हुई। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर तीनों सेनाओं के प्रमुखों और अन्य वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों सहित बैठक में उपस्थित थे। ये पहला मौका है जब रक्षा मंत्री और तीनों सेनाओं के प्रमुख समेत टॉप कमांड का ये सम्मेलन दिल्ली से बाहर समंदर के बीचों बीच हो रहा है।तय कार्यक्रम के अनुसार मोदी बैठक को संबोधित करेंगे और चर्चा के दौरान उठने वाली मांगों की समीक्षा करेंगे। दिल्ली वापस लौटने से पूर्व मोदी केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी के मंत्रीमंडल से मुलाकात करेंगे। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की यह पहली केरल यात्रा है।

समंदर की लहरों को चीरता हुआ आगे बढ़ने वाला ये है भारतीय नौसेना का जंगी जहाज आईएनएस विक्रमादित्य हिंदुस्तान के समंदर पर तैरता ये शूरवीर दुश्मन के लिए बुरे सपने जैसा है। मीलों फैले समंदर में पल पल भारत की बढ़ती ताकत का सबूत है ये युद्धपोत। अब ये जहाज एक ऐतिहासिक कॉन्फ्रेंस का गवाह बनने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के साथ यहां कॉन्फ्रेंस करने वाले हैं। इस दौरान हिंद महासागर में चीन के बढ़ते दखल से निपटने के लिए रणनीति पर चर्चा हो सकती है।

इस बातचीत के एजेंडे में तटीय सुरक्षा हालात, हिंद महासागर में चीनी जहाजों और पंडुब्बियों की बढ़ती गतिविधियों, नौसेना के आधुनिकीकरण, सैन्य अभ्यास और भारतीय महासागर आर्थिक एवं व्यापारिक क्षेत्रीय सहयोग संगठन से सूचनाएं साझा करना भी शामिल है। ये सम्मेलन दिल्ली से बाहर पीएम की सलाह पर ही हो रहा है।

दरअसल पिछली कमांडर्स कान्फ्रेंस में खुद पीएम मोदी ने सलाह दी थी कि इस तरह की अहम बैठक ऑपरेशनल इलाकों और युद्धपोत पर होनी चाहिए। इस सम्मेलन में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और खुफिया एजेंसियों के प्रमुख भी हिस्सा लेंगे इसके बाद नौसेना प्रधानमंत्री मोदी के सामने शक्ति प्रदर्शन करेगी।

आईएनएस विक्रमादित्य न सिर्फ एक जंगी जहाज है, बल्कि समंदर में तैरता छोटा-मोटा शहर भी है। संस्कृत शब्द विक्रमादित्य का अर्थ है-सूर्य की तरह प्रकाशवान और प्रतापी और दिलचस्प बात ये है कि आईएनएस विक्रमादित्य भी इतना प्रकाशवान है कि किसी शहर को अपनी रौशनी से जगमग कर सकता है।

14 जून 2014 को आईएनएस विक्रमादित्य को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया अब विक्रमादित्य नौसेना का मुख्य युद्धक पोत है। इसके रहते हिंदुस्तान की 7000 किलोमीटर लंबी समुद्री सरहद की तरफ दुश्मन आंख उठा कर भी नहीं देख सकता है। 30 नॉट यानी 56 किलोमीटर प्रति घंटे की रफतार से ये तेजी से युद्धक्षेत्र तक पहुंचता है। विक्रमादित्य 6 नली वाली AK-630 तोप से लैस है। इस पर 8 ब्रह्मोस मिसाइल भी हैं। जमीन से हवा पर मार करने वाली बराक मिसाइल इसे दुश्मन विमानों से बचाते हैं। लंबी दूरी के अत्याधुनिक एयर सर्विलेंस रडार दुश्मन के हमले से पहले ही इसे सावधान कर देते हैं।

आईएनएस विक्रमादित्य को 16 नवंबर 2013 को रूस के सेवमास शिपयार्ड में भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया था। रूस ने डी-कमीशंड हो चुके एडमिरल गोर्शकोव नाम के अपने जहाज को भारतीय नौसेना की जरूरत के हिसाब से एक ताकतवर हथियार में बदल दिया है। आईएनएस विक्रमादित्य फिलहाल देश का सबसे बड़ा जंगी जहाज है, लिहाजा इसे चलाना किसी शहर को चलाने के बराबर है।

विक्रमादित्य एक बार में 45 दिन तक समंदर में रह सकता है, लेकिन अगर इसे समंदर के बीच टैंकर से ईंधन दिया जाता रहे तो ये जबतक चाहे तबतक समंदर में तैरता रहा सकता है। अपनी इसी विशालता और ताकतवर प्रणाली की वजह से आईएनएस विक्रमादित्य नौसेना के लिए सबसे खास है-और दुश्मन के लिए बुरा ख्वाब है।

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