यूपी चुनावों में भाजपा को बड़ी जीत मिली है। खुद भाजपा को भी यकीन नहीं था कि उसके गठबंधन को 325 सीटें मिलेंगी। इस जीत को जहां बसपा सुप्रीमो मायावती ईवीएम में छेड़छाड़ से हासिल की गई जीत कह रही हैं। वहीं चुनावों का विश्लेषण करने से साफ होता है कि भाजपा ने खास रणनीति के जरिए बसपा को हराया है।
राज्य की करीब 50 ऐसी विधान सभा सीटें हैं जहां भाजपा ने बसपा की रणनीति पर चलते हुए उसी के समीकरण से उसके प्रत्याशियों को हराया है। यानी बसपा ने जिस सीट पर जिस जाति के उम्मीदवार को टिकट दिया भाजपा ने भी उसी जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतार कर अपनी जीत तय की।
कई जगहों पर हार-जीत का अंतर तो काफी कम रहा है। बसपा को पटखनी देने के गेमप्लान के तहत ही भाजपा ने अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान आखिरी दौर में किया जबकि बसपा ने सबसे पहले जनवरी के पहले हफ्ते में ही उम्मीदवारों का एलान कर दिया था।बांदा जिले के टिंडवाड़ी विधानसभा में प्रजापति जाति के करीब 30 हजार मतदाता हैं।
बसपा ने यहां से जगदीश प्रजापति को मैदान में उतारा था जबकि भाजपा ने उसी जाति के उम्मीदवार ब्रजेश प्रजापति को चुनावी मैदान में उतारा। ब्रजेश प्रजापति ने कुल 82,197 वोट हासिल किए जबकि उनके प्रतिद्वंदी जगदीश प्रजापति ने 44, 790 वोट हासिल किए। यह बसपा के परंपरागत वोटर्स जाटवों की संख्या से काफी कम है।इसी तरह चित्रकूट विधान सभा सीट से बसपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार जगदीश प्रसाद गौतम को उतारा।