राज्यसभा की एक सीट के लिए बसपा प्रमुख मायावती ने सपा के साथ डील कर ली है। बसपा ने गोरखपुर-फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा को समर्थन दे दिया है। बदले में बसपा के एक कैंडिडेट को राज्यसभा भेजने में सपा मदद करेगी। बसपा भी सपा को विधान परिषद में वोट ट्रांसफर करेगी। मायावती ने कहा कि यह चुनावी समझौता नहीं, बल्कि इस हाथ ले, उस हाथ दे का फॉर्मूला है।
उन्होंने कांग्रेस को भी ऑफर दिया कि राज्यसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में बसपा के वोट लेने हैं तो बदले में यूपी में मदद करनी पड़ेगी। राम लहर में बीजेपी को रोकने के लिए सपा और बसपा 1993 में साथ आई थीं। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर 11 मार्च को उपचुनाव होने हैं। 14 मार्च रिजल्ट आएंगे।
मायावती ने एएनआई को बताया- मैं कहना चाहूंगी कि एसपी और बीएसपी का कोई गठबंधन होगा तो गुपचुप तरीके से नहीं होगा, बल्कि खुलकर होगा। किसी पार्टी से भी गठबंधन होगा तो मीडिया को सबसे पहले बताया जाएगा। फूलपुर और गोरखपुर में जो चुनाव हैं, उनमें बीएसपी ने अपने उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारे हैं।
इसका ये मतलब नहीं है कि हम वोट डालने नहीं जाएंगे और हम वोट डालने जरूर जाएंगे। ऐसा मैंने पार्टी के लोगों को दिशा निर्देश दिए हैं।यूपी में हाल ही में होने वाले राज्यसभा चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवारों को हराने के लिए अगर वोट ट्रांसफर कर दिया जाता है तो ये गठबंधन नहीं होता है।हमारी पार्टी में अभी इतने विधायक नहीं हैं कि हम खुद से चुनकर अपना मेंबर राज्यसभा भेज दें और ना ही समाजवादी पार्टी के पास इतने मेंबर हैं कि वो अपने दो लोगों को राज्यसभा भेज सके।
इसलिए हमने तय किया है कि हम उनका एमएलसी बना देंगे और वो अपने वोट हमें ट्रांसफर कर देंगे, ताकि हम राज्यसभा में अपना सदस्य भेज सकें।बीजेपी नेता लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा-सपा और बसपा, बीजेपी की आई बाढ़ के कारण एक होने को मजबूर हुई हैं। सुना था जब बाढ़ आती है तो सांप और नेवला एक ही डाल पर बैठ जाते हैं, दुश्मनी छोड़ देते हैं। जब प्यास लगती है तो शेर और बकरी एक ही घाट पर पानी पी लेते हैं। ऐसा ही ये गठबंधन है।
बताया जा रहा है कि चुनाव में साथ आने की रणनीति करीब 10 दिन पहले बनी थी। इसकी शुरुआत एसपी के रामगोविंद चौधरी और बीएसपी के लालजी वर्मा ने की थी। बीते गुरुवार को गोरखपुर और इलाहाबाद में मीटिंग्स हुई थीं। इसके बाद मायावती ने गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर सपा कैंडिडेट्स को समर्थन देने का फैसला किया।
इलाहाबाद के जोनल को-ऑर्डिनेटर अशोक गौतम ने कहा हमारे कार्यकर्ता बीजेपी को हराना चाहते हैं और इसीलिए बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के सदस्यों ने फूलपुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी प्रत्याशी नागेन्द्र सिंह पटेल को और गोरखपुर में समाजवादी पार्टी के प्रवीण कुमार निषाद को समर्थन देने का एलान किया है।
सीनियर जर्नलिस्ट प्रदीप कपूर कहते हैं- उपचुनावों में लड़ाई बीजेपी और सपा की है। कांग्रेस कहीं पिक्चर में नहीं है। यही वजह है कि बीएसपी, कांग्रेस की बजाय एसपी को सपोर्ट कर रही है। यह गठबंधन यूपी में भविष्य की राजनीति के लिए बड़ा कदम होगा।1993 इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जब बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद बीजेपी बहुमत से आई थी और उसे रोकने के लिए एसपी और बीएसपी ने हाथ मिलाया था।
इसे राज्यसभा से भी जोड़ कर देखा जा सकता है। अगर रिजल्ट बेहतर होते हैं तो एसपी के सपोर्ट से मायावती राज्यसभा जा सकती हैं। हालांकि, यह देखना होगा कि उन उपचुनाव में दोनों पार्टियों को कितना फायदा होगा।इससे पहले 1993 विधानसभा चुनाव में गठबंधन हुआ था। इसने शानदार जीत दर्ज की थी। मुलायम सिंह यूपी के सीएम बने।
आपसी खींचतान के चलते 2 जून, 1995 को बीएसपी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इससे मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई थी।गोरखपुर सीट से पहले सीएम योगी आदित्यनाथ और फूलपुर से डिप्टी सीएम केशवप्रसाद मौर्य सांसद थे। बीजेपी ने गोरखपुर से उपेंद्र दत्त शुक्ला और फूलपुर से कौशलेंद्र पटेल को कैंडिडेट बनाया है।
एसपी ने गोरखपुर सीट के लिए निषाद पार्टी और पीस पार्टी से गठबंधन किया है। यहां से निषाद पार्टी के इंजीनियर प्रवीण कुमार निषाद एसपी के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, फूलपुर सीट से एसपी ने नागेन्द्र प्रताप सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया है।कांग्रेस ने गोरखपुर से डॉक्टर सुरहिता करीम और फूलपुर से मनीष मिश्रा को मैदान में उतारा है।