भाजपा ने आरोप लगाया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम ने अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयलाइंस को संकट से उबारने के लिए उद्योगपति विजय माल्या को भारी कर्ज दिलाने में मदद की थी.भाजपा के इन आरोपों को कांग्रेस ने सिरे से खारिज कर दिया, उल्टे माल्या के कर्ज माफ करने और उसे देश से भगाने का भाजपा पर आरोप लगाया.
पात्रा ने संवाददाताओं के सामने माल्या का पत्र पढ़ते हुए कहा मनमोहन के दबाव में किंगफिशर एयरलाइंस को राहत पैकेज दिया गया था.उन्होंने कहा एक छोटा ऋण लेने के लिए एक आम आदमी को काफी कागजी काम करने होते हैं और पूछताछ की प्रक्रिया से गुजरना होता है, लेकिन माल्या को 9,000 करोड़ रुपये मूल्य के ऋण बिना पर्याप्त दस्तावेज या समुचित खातों के मिल गए थे.
भाजपा प्रवक्ता ने कहा अक्सर सवाल पूछे जाते हैं कि क्या कुछ हाथ पीछे से मदद कर रहे थे? क्या डूबती जहाज (कांग्रेस) डूबते एयरलाइंस की मदद कर रही थी? अब हमारे पास कुछ ई-मेल और पत्र हैं, जो खुलासा करते हैं कि वे हाथ तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम के थे.लेकिन कांग्रेस के इन दोनों वरिष्ठ नेताओं ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि माल्या के पत्र उन सैकड़ों पत्रों के हिस्सा हैं, जो नियमित तौर पर तत्कालीन संप्रग सरकार को मिलते रहते थे.
मनमोहन ने कहा जिस पत्र का जिक्र किया गया है, वह एक साधारण पत्र के सिवा कुछ नहीं है, जिसके साथ मेरी जगह कोई भी सरकार होती तो वही करती. यह एक नियमित प्रक्रिया थी.मनमोहन ने कहा किसी भी सरकार के सभी प्रधानमंत्रियों और अन्य मंत्रियों को विभिन्न उद्योगपतियों की ओर से पत्र प्राप्त होते हैं, जिसे हम सामान्य प्रक्रिया के तहत उचित प्राधिकारी के पास भेज देते हैं. मैंने यही किया और पूरे संतोष के साथ कि हम कुछ ऐसा नहीं कर रहे थे जो देश के कानून के खिलाफ था.
पात्रा ने यह भी आरोप लगाया प्रधानमंत्री के दबाव डालने पर आयकर विभाग ने माल्या के साथ नरमी बरती और उनके खातों को फ्रीज नहीं किया. पत्र पढ़ते हुए पात्रा ने कहा माल्या ने चरणबद्ध ढंग से कहा है कि नाजुक स्थिति में खास राशि बैंकों द्वारा जारी की जा सकती है और मनमोहन सिंह की कृपा अति महत्वपूर्ण है.भाजपा प्रवक्ता ने कहा मनमोहन सिंह को एक के बाद एक लिखे पत्र में माल्या कहते हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री की कृपा की जरूरत है और निश्चित राशि जारी की गई है.
पात्रा ने दावा किया कि माल्या ने चिदम्बरम को एक पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने को कहा था कि तरजीही आधार पर शेयर जारी कर 2000 करोड़ रुपये की राशि जुटाने हेतु मंजूरी के लिए उनकी कंपनी युनाइटेड स्प्रिट्स लिमिटेड (यूएसएल) को भारतीय स्टेट बैंक अनापत्ति प्रमात्र पत्र दे .पात्रा ने आरोप लगाया भारतीय स्टेट बैंक बकाएदार के साथ नरमी नहीं बरतना चाहता था, लेकिन उसने माल्या से कहा कि वह यूएसएल को अनापत्ति प्रमाण पत्र केवल चिदम्बरम की डांट के कारण दे रहा है.
पात्रा ने आगे कहा सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों को लोगों के सामने आकर बताना चाहिए कि किसके कहने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री ने माल्या को ऋण जारी करने की स्वीकृति दी. इस मुद्दे पर उन्हें अपराध स्वीकार करना चाहिए.चिदंबरम ने पात्रा के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पीएओ ने माल्या की मदद के लिए पत्र नौकरशाहों के पास भेजे थे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय या अन्य मंत्रालयों को लिखे गए पत्रों को संबंधित अधिकारी के पास भेजना एक नियमित गतिविधि है.
चिदंबरम ने कहा यदि पीएमओ को प्राप्त हुए किसी पत्र को प्रधान सचिव के पास भेजा जाता है, और उसके बाद संबंधित विभाग को भेजा जाता है, तो यह सामान्य-सी बात है.उन्होंने कहा सरकार, खासतौर से पीएमओ या वित्तमंत्री कार्यालय को प्रतिदिन सैकड़ों पत्र प्राप्त होते हैं. कोई भी मंत्री व्यक्तिगत तौर पर इन पत्रों को नहीं देखता और उन्हें संबंधित अधिकारियों के पास भेज दिया जाता है, जो उसपर आगे की उचित कार्रवाई करते हैं.पूर्व वित्तमंत्री ने कहा मौजूदा सरकार से पूछिए कि पिछले तीन वर्षो से क्या उन्हें पत्र प्राप्त हुए हैं या नहीं. यदि वे कहते हैं कि उन्हें कोई पत्र नहीं प्राप्त हुआ है, तो यह सरकार के कामकाज की गंभीर स्थिति को जाहिर करती है.