मणिपुर विधानसभा चुनाव की 60 सीटों पर हुए मतदान की गिनती शुरू हो गई है. अभी तक के रुझानों से यह साफ हो रहा है कि राज्य में बीजेपी-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है. मुख्यमंत्री अपना चुनाव जीत गए हैं और उनके खिलाफ मैदान में खड़ी इरोम शर्मिला अपना चुनाव हार गई हैं. आपको बता दें कि राज्य में पहले चरण का मतदान 4 मार्च को हुआ था, जबकि दूसरे चरण के लिए 8 मार्च को वोट डाले गए थे.
इस बार मणिपुर में रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग हुई. दोनों चरणों में 80 फीसदी से ऊपर वोटिंग हुई.मणिपुर विधानसभा चुनाव में इस बार सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को बीजेपी ने कड़ी चुनौती दी. वहीं, इस बार राज्य में कई छोटे दल भी सत्ता में हिस्सेदार बनने उतरे हैं. मणिपुर में पिछले 15 सालों से कांग्रेस ही सत्ता में है. 2012 में तृणमूल कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी थी.
मणिपुर में मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के सामने थीं. सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला पहली बार चुनावी मैदान में हैं.इस बार बीजेपी और कांग्रेस के अलावा भाकपा, राजद और राकांपा के अलावा लोजपा सहित करीब एक दर्जन क्षेत्रीय पार्टियां मैदान में हैं. चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी की कोशिश यही रही कि वो कांग्रेस के खिलाफ पैदा हुई एंटी इंकंबेंसी का फायदा उठाए.
मणिपुर में कुल 60 विधानसभा सीटों में से 40 सीटें घाटी में हैं. जबकि पहाड़ पर विधानसभा की 20 सीटें हैं. प्रदेश की राजनीति में हमेशा मेतई समुदाय का ही दबदबा रहा है. मणिपुर की करीब 31 लाख जनसंख्या में 63 फीसदी मेतई है. मुख्यमंत्री इबोबी सिंह भी मेतई समुदाय से हैं.
मणिपुर में एक बार फिर कांग्रेस को बहुमत मिलने के आसार दिख रहे हैं. एग्जिट पोल के नतीजों के मुताबिक, राज्य की 60 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस सर्वाधिक सीट 30-36 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है. एग्जिट पोल के मुताबिक, राज्य में 16-22 सीटों के साथ बीजेपी दूसरे नंबर पर रहेगी. इस उत्तर पूर्वी राज्य में बीजेपी का यह सबसे बढ़िया प्रदर्शन होगा.