मेनका गांधी ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि भारत लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और समावेशी समाज एवं विकास की खातिर महिलाओं के खिलाफ सभी तरह के भेदभाव को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कल कहा, भारत सरकार लैंगिक समानता का लक्ष्य हासिल करने एवं महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के साथ उनके खिलाफ सभी तरह के भेदभाव को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।
‘कमिशन ऑन स्टेटस ऑफ वीमेन’ (सीएसडब्ल्यू) के 60वें सत्र के गोलमेज सत्र के दौरान मेनका ने कहा कि भारत ‘सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य’ हासिल करने को प्रतिबद्ध है और उसने पारदर्शी एवं जवाबदेह तंत्रों के जरिए महिलाओं एवं पुरूषों को बराबरी का मौका देते हुए उनके लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के मकसद से आगे बढ़ने का लक्ष्य निर्धारित किया है। मेनका ने कहा कि समावेशी समाज एवं विकास का लक्ष्य हासिल करने के मकसद से लैंगिक समानता सुनिश्चित करना और महिलाओं के खिलाफ हिंसा खत्म करना भारत के राष्ट्रीय ध्येय के लिए अहम है।
मंत्री ने बताया कि 2013 में ‘भारतीय आपराधिक कानून’ में संशोधन कर यौन उत्पीड़न और शोषण की परिभाषा में अहम विस्तार दिया गया है और इसके तहत दोषियों की सजा में वृद्धि और हिंसा प्रभावित महिला को राहत उपलब्ध कराने के लिए सरकारी अधिकारियों को और अधिक जवाबदेह बनाने के मकसद से लक्ष्य निर्धारित किया गया है।लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी को ‘‘कारगर तरीका’’ बताते हुए संयुक्त राष्ट्र में जमा हुई महिला मंत्रियों, अधिकारियों और एनजीओ की उच्च स्तरीय बैठक में उन्होंने बताया कि कि भारत ने महिला उद्यमियों के प्रोत्साहन के लिए एक ऑनलाइन मार्केटिंग मंच ‘महिला-ए-हाट’ शुरू किया है।
लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण में प्रगति और नई पहलों की योजना की समीक्षा के लिए दो सप्ताह तक चलने वाले सीएसडब्ल्यू ने संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, देशों की सदस्य और दुनिया भर के नागरिक समाज से प्रतिनिधियों को साथ लाने का काम किया है।महिला सशक्तिकरण और सतत विकास के लिए 400 से अधिक कार्यक्रमों की योजना है। गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में 2010 एजेंडा की स्वीकृति के बाद आयोग का यह पहला सत्र है।