बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2016 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं। गुरुवार को वे कोलकाता के शहीद मीनार मैदान में एक मेगा रैली करने जा रही हैं। देश में इन्टॉलरेंस पर जारी बहस के बीच होने वाली इस रैली में सिर्फ मुस्लिम संगठनों के रिप्रेजेंटेटिव्स को बुलाया गया है। पहली बार ममता ऐसी रैली कर रही हैं, जिसमें उनकी स्पीच सुनने वाले सारे लोग मुस्लिम ही होंगे। दावा है कि रैली में तीन लाख से ज्यादा मुस्लिम प्रतिनिधि आएंगे।
यह रैली मुस्लिमों के बड़े ऑर्गनाइजेशन में से एक जमात-ए-उलेमा-ए-हिंद की तरफ से की जा रही है। यह ऑर्गनाइजेशन बंगाल में एक हजार से ज्यादा मदरसे चलाता है।इसके जनरल सेक्रटरी सिद्दीकीउल्लाह चौधरी ने कहा, “हमारा ऑर्गनाइजेशन मानता है कि बंगाल में मुस्लिमों की तरक्की के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए। हमें उनके साथ दूरी नहीं रखनी चाहिए।”ऑर्गनाइजर्स के मुताबिक, रैली में कई बड़े नेताओं के साथ पूर्व चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर और दारुल उलूम देवबंद के वाइस चांसलर करी मद ओस्मान जैसी हस्तियों के शामिल होने की उम्मीद है।इस रैली में मुस्लिमों के लिए रिजर्वेशन लागू करने, इन्टॉलरेंस और मुस्लिमों पर हो रहे हमले जैसे मुद्दों पर बात हो सकती है।बिहार में जेडीयू-आरजेडी और कांग्रेस की जीत के बाद अब सबकी निगाहें पश्चिम बंगाल पर लग गई हैं। इसलिए इस रैली को भी और भी अहम माना जा रहा है।
पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई, 2016 में असेंबली इलेक्शन होना है।बिहार इलेक्शन के नतीजों के बाद तृणमूल कांग्रेस की स्ट्रैटजी बनाने वालों के लिए यह बात साफ हो गई कि प्रदेश में मुसलमानों को फेवर में किए बिना 2016 की चुनावी लड़ाई नहीं जीती जा सकती है।इस रैली के बहाने टीएमसी को अल्पसंख्यक समुदाय के वोट बैंक को मजबूत करने में मदद मिलेगी।जमात-ए-उलेमा-ए-हिंद की बांग्लाभाषी मुस्लिमों पर अच्छी पकड़ है। यह बात इसलिए कही जा रही है, क्योंकि पश्चिम बंगाल में मुसलमानों को हमेशा दो ग्रुप में बांटा जाता है। पहला बांग्लाभाषी और दूसरी ऊर्दू-हिंदी भाषी।
ऐसा कहा जा रहा है कि बीजेपी ने लगभग 6 महीने पहले से ही पश्चिम बंगाल में कैडर बनाना शुरू कर दिया है।बिहार के बाद बीजेपी की स्ट्रैटजी में पश्चिम बंगाल सबसे ऊपर था। लेकिन बिहार में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी अब स्ट्रैटजी बदल सकती है।ममता को डर है कि बीजेपी राज्य में वोटरों का धर्म और जाति के नाम पर ध्रुवीकरण कर सकती है। इसका जवाब दिया जाना जरूरी है।एंटी कम्बेंसी और मुसलमानों का रुख लेफ्ट की तरफ होने का डर भी ममता को परेशान कर रहा है।वहीं, यह रैली इस बात की तरफ भी इशारा कर रही है कि ममता और बीजेपी के बीच अब गठबंधन की संभावना नहीं के बराबर रह गई है।
पश्चिम बंगाल में 2.4 करोड़ से ज्यादा मुसलमान हैं।294 विधानसभा सीटों में से 125 सीटों पर मुस्लिम वोटरों का सीधा असर है। बता दें कि राज्य में इनका वोट 28% है।2011 में इन 125 सीटों में से 92 सीटें टीएमसी ने जीती थीं। विश्लेषकों के अनुसार, इन सीटों पर वोटरों का स्विंग किसी भी पार्टी की किस्मत बदल सकता है।2011 के इलेक्शन में मुस्लिमों के वोट का खासा असर देखने को मिला था। मुस्लिम वोटरों ने लेफ्ट और कांग्रेस से नाता तोड़कर टीएमसी का साथ दिया। ममता बनर्जी को शानदार जीत मिली। टीएमसी गठबंधन को 294 सीट में से 227 सीटें मिली थीं।
पश्चिम बंगाल में 20 जिले हैं। साउथ 24 परगना, नॉर्थ 24 परगना, नादिया, मुर्शिदाबाद, मालदा, कोलकाता, साउथ दिनाजपुर, नॉर्थ दिनाजपुर, जलपाईगुडी और कूच बिहार जैसे जिलों में मुस्लिम आबादी ज्यादा है।इस समय पश्चिम बंगाल असेंबली में मुस्लिमों की भागीदारी 20% है।2011 के चुनाव में 59 मुस्लिम कैंडिडेट्स चुनकर आए थे। 40 एमएलए तो सिर्फ टीएमसी गठबंधन के थे।वहीं, लेफ्ट पार्टियों से सिर्फ 18 मुस्लिम कैंडिडेट्स ही जीते थे। जबकि, 2006 में लेफ्ट के पास 34 मुस्लिम एमएलए थे।
16वीं लोकसभा में 23 मुस्लिम सांसद हैं। सबसे ज्यादा 8 मुस्लिम सांसद पश्चिम बंगाल से ही हैं।इनमें टीएमसी के 4, कांग्रेस और सीपीआई के 2-2 सासंद हैं।बता दें कि पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीटें हैं।2014 के आम चुनाव में पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने 34, कांग्रेस ने 4 , सीपीआई (एम) के 2 और बीजेपी ने दो लोकसभा सीटें जीती थीं।बीजेपी ने बिहार असेंबली इलेक्शन के पहले ही पश्चिम बंगाल में काम करना शुरू कर दिया है।बनगांव लोकसभा और कृष्णागंज विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी भले ही हार गई, लेकिन बीजेपी के बढ़े वोट प्रतिशत ने सबको हैरान कर दिया था।
कृष्णागंज असेंबली सीट पर बीजेपी का वोट प्रतिशत 3.09 फीसदी से 29.53 फीसदी हो गया, वहीं, बनगांव लोकसभा सीट पर 19.06 फीसदी से बढ़कर 25.40 फीसदी हो गया। बीजेपी के प्रदेश प्रेसिडेंट राहुल सिन्हा के मुताबिक, प्रदेश में बीजेपी का कैडर तेजी से बढ़ा है।पश्चिम बंगाल बीजेपी अभी तक लगभग 30 लाख मेंबर बनाने में सफल रही है। वहीं, इनमें 5 से 6 लाख मुस्लिम वर्कर हैं।उधर, बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह 30 नवंबर को और दिसंबर में चुनावी सभाएं कर सकते हैं। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी से लेकर पार्टी के बड़े नेताओं के दौरे और सभाएं जनवरी से शुरू हो जाएंगी।