नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि पेट्रोल और डीजल कारों का रजिस्ट्रेशन पब्लिक लॉटरी के जरिए किया जाए। आयोग की एक रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पेट्रोल और डीजल कारों से मिलने वाले रेवेन्यू का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की सब्सिडी पर किया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, अगर भारत इलेक्ट्रिक और शेयर्ड व्हीकल्स पर फोकस करता है तो वो 2030 तक करीब 60 बिलियन डॉलर (3.79 लाख करोड़ रुपए) बचा सकता है।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, नरेंद्र मोदी की अगुआई में हुई नीति आयोग की मीटिंग में व्हीकल्स मोबिलिटी पर 15 साल का रोडमैप तैयार किया गया। इसका मकसद नई ग्रीन कार पॉलिसी बनाना है।134 पेज की इस रिपोर्ट में तीन अहम बदलावों पर सुझाव दिए गए हैं। पहला- प्राइवेट व्हीकल्स की जगह शेयर्ड व्हीकल्स का इस्तेमाल बढ़ाया जाए।
दूसरा- पेट्रोल और डीजल व्हीकल्स की जगह इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इस्तेमाल किए जाएं और तीसरा इस बात पर जोर दिया जाए कि शहरों को कारों के लिहाज से नहीं बल्कि इंसानों के लिहाज से डिजाइन किया जाए।रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोल और डीजल कारों का रजिस्ट्रेशन पब्लिक लॉटरीज के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है।
इसके अलावा पेट्रोल और डीजल कारों से मिलने वाले रेवेन्यू का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की सब्सिडी पर किया जा सकता है।इसी पैसे से इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन भी बनाए जा सकते हैं। रिपोर्ट में एक सुझाव ये भी है कि इलेक्ट्रिक टैक्सियों को बढ़ावा देने के लिए बिजली बिल के रेट कम किए जा सकते हैं।
बेहतर क्वॉलिटी की बैट्रीज और इनके कंपोनेंट्स की कीमतें कम की जा सकती हैं।रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के इस्तेमाल से 2017 से 2030 के बीच एक गीगाटन कार्बन इमिशन भी कम किया जा सकता है।