बिहार में 300 करोड़ का एनजीओ घोटाला सामने आया है. सरकारी विभाग के बैंक खातों से एक एनजीओ के खाते में पैसा ट्रांसफ़र किया जा रहा था. इस मामले में अब तक 3 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं. एफ़आईआर में कई बैंक अधिकारी और सृजन नाम के एनजीओ का नाम शामिल है. शुरुआती जांच में कई ज़िला अधिकारियों की भूमिका भी शक के दायरे में है.
सभी ज़िला अधिकारियों को सारे अकांउट की जांच करने का निर्देश दिया गया है. इस घोटाले को लेकर लालू यादव ने कहा कि ये घोटाला 1000 करोड़ से भी बड़ा है. सुशासन बाबू जो जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले पानी-पानी हो गए हैं. ये घोटाला नीतीश कुमार और सुशील मोदी के शासनकाल में हुआ.
दरअसल, इस मामले को खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक सरकारी कार्यक्रम में उजागर किया. नीतीश ने कहा कि सरकारी खजाने का पैसा किस तरह से एक फर्जी कारोबार के चलते कहां भेज दिया गया. इस मामले की जांच चल रही हैं. नीतीश की इस घोषणा के कुछ घंटे के अंदर राज्य पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई की एक टीम आईजी जितेन्द्र सिंह गंगवार के नेतृत्व में विशेष विमान से भागलपुर पहुंची.
अभी तक इस मामले में तीन प्राथमिकी दर्ज कराई गई हैं, जिसमें कई बैंक अधिकारी और सृजन नाम की NGO के कई लोगों के नाम शामिल हैं, लेकिन पुलिस का कहना है कि जैसे जैसे जांच बढ़ेगी वैसे-वैसे इसके दायरे में कई और सरकारी अधिकारियों के आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
दरअसल, यह मामला राज्य सरकार द्वारा प्रसासन को विभिन्न योजनाओं के लिए दी जाने वाली राशि के ग़बन का है. जिला प्रशासन इस राशि को विभिन सरकारी बैंक खातों में रखता है, लेकिन भागलपुर में योजनाओं से संबंधित राशि जिस शॉर्ट टर्म अकाउंट में जमा की गई वहां से फर्जी सिग्नेचर के ज़रिए एक सृजन नामक NGO के खाते में डाला गया.
कुछ वर्षों तक इस संस्था के चेक से पैसे मिलते रहे, लेकिन हाल में चेक बाउंस होने लगे. अभी तक की जांच में 270 करोड़ भू-अर्जन का, 15 करोड़ नज़रत का और 10 करोड़ मुख्यमंत्री नगर विकास योजना का सृजन के अकाउंट में ट्रांसफर किया गया. इस जांच में कई ज़िला अधिकारियों की मिलीभगत और लापरवाही सामने आई है.