भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने रोक लगा दी। कोर्ट ने गुरुवार को कहा- हमारा आखिरी फैसला आने तक जाधव को फांसी नहीं दी जा सकती। भारत को इस मामले में दूसरी कामयाबी भी मिली। ICJ ने पाक से कहा- वियना कन्वेंशन के तहत आपको जाधव को कॉन्स्यूलर एक्सेस भी देना होगा।
बता दें कि पाक ने जाधव को भारत का जासूस बताते हुए पिछले साल गिरफ्तार किया था। मिलिट्री कोर्ट ने पिछले महीने उसे फांसी की सजा सुनाई थी। भारत ने इंटरनेशनल कोर्ट में इसके खिलाफ अपील की थी। इंटरनेशनल कोर्ट में पाक के खिलाफ भारत को 18 साल बाद फिर जीत मिली है। 1999 में भी एक मामले में कोर्ट ने पाक के दावे को खारिज कर दिया था।
ICJ ने भारतीय वक्त के मुताबिक दोपहर 3.30 बजे फैसला सुनाया। इस दौरान चीफ जस्टिस रोनी अब्राहम और बाकी 10 जज मौजूद थे।अब्राहम ने सबसे पहले दोनों देशों की तरफ से मंगलवार को पेश की गईं दलीलों की समरी पढ़कर सुनाई। इसके बाद ICJ का ऑर्डर ऑफ मैरिट (वो बातें जिन पर फौरन अमल किया जाना है।) पढ़कर सुनाया।
अब्राहम ने कहा भारत और पाक दोनों वियना कन्वेंशन का हिस्सा हैं। उन्हें जिम्मेदार देश की तरह बर्ताव करना होगा। पाकिस्तान जाधव पर भारत को कॉन्स्यूलर एक्सेस दे। जब तक ये कोर्ट उस पर आखिरी फैसला नहीं सुना देता तब तक उसे मिलिट्री कोर्ट द्वारा दी गई फांसी की सजा पर अमल नहीं किया जा सकता।
जाधव को मर्सी पिटीशन दायर करने का हक है। सिविलाइज्ड सोसायटी में हर देश को पहले से तय नतीजे पर सजा देने का अधिकार नहीं है।इस फैसले में एक बेहद अहम बात है। कोर्ट ने पाकिस्तान से साफ कहा है कि उसे ये कोर्ट को सबूतों के साथ बताना होगा कि उसे जो ऑर्डर ICJ ने दिए हैं, उन पर किस तरह अमल किया गया।
मंगलवार को इस मामले की सुनवाई हुई थी। भारत की तरफ से हरीश साल्वे ने दलीलें रखी थीं। गुरुवार को जब फैसला सुनाया गया तब साल्वे मौजूद नहीं थे। भारत की टीम को फॉरेन मिनिस्ट्री के ज्वाइंट सेक्रेटरी दीपक मित्तल ने लीड किया।जाधव को 3 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया गया था। जानकारी 25 मार्च को दी गई। भारत ने कॉन्स्यूलर एक्सेस मांगा और कई बार इसे दोहराया।
4 अप्रैल 2017 को पाकिस्तान के फॉरेन ऑफिस ने प्रेस रिलीज में बताया कि जाधव को मिलिट्री कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है।भारत ने विरोध किया। जाधव को पाकिस्तानी कानून के मुताबिक, 40 दिन में सजा के खिलाफ अपील करनी थी, लेकिन ये हुआ या नहीं? कोर्ट को इसकी जानकारी नहीं है।
जाधव की गिरफ्तारी को लेकर डिस्प्यूट हैं। इसे ध्यान में रखना होगा। भारत और पाकिस्तान दोनों वियना कन्वेंशन का हिस्सा हैं।पाकिस्तान के ऑब्जेक्शंस पुख्ता नहीं हैं। लिहाजा इन पर विचार नहीं किया जा सकता। लेकिन ये भी ध्यान रखना होगा कि इस मामले में दोनों देशों के बीच म्युचुअल ट्रीटी (आपसी समझौता) है। इसे 2008 में रिव्यू भी किया जा चुका है।
वियना कन्वेंशन के मुताबिक, ये जरूरी है कि सभी सदस्य देश एक-दूसरे नागरिकों को हर हाल में कॉन्स्यूलर एक्सेस मुहैया कराएं।भारत को ये अधिकार है कि वो कॉन्स्यूलर एक्सेस के लिए अपील करे। पाकिस्तान कोर्ट का आखिरी फैसला आने तक जाधव को सजा नहीं दे सकता।जाधव को दया याचिका दायर करने का हक है और सिविलाइज्ड सोसायटी में हर देश को पहले से तय नतीजे पर सजा देने का अधिकार नहीं है।
पाकिस्तान कोर्ट को ये बताए कि उसने कोर्ट के दिए ऑर्डर पर क्या एक्शन लिए। इस केस की मैरिट के आधार पर सुनवाई होगी। दोनों देशों की सरकारों को अागे के लिए अपने जवाब कोर्ट देंगे।वियना कन्वेंशन 1963 में अलग-अलग देशों के लोगों को विदेशों में कॉन्स्यूलर एक्सेस देने के लिए बना था।
कन्वेंशन के आर्टिकल 36 के तहत अगर किसी देश में विदेशी नागरिक क्रिमिनल या इमिग्रेशन आरोपों में हिरासत में लिया जाता है या अरेस्ट किया जाता है, तो उसे कॉन्स्यूलर एक्सेस पाने का हक है। यानी वह अपने देश के दूतावास से संपर्क कर सकता है।उस शख्स को ट्रायल और हिरासत के दौरान सलाह-मशविरे के लिए कॉन्स्यूलर अफसरों से मिलने का भी हक है।
पाक का दावा है कि आर्टिकल 36 के तहत जाधव को कॉन्स्यूलर एक्सेस नहीं दिया जा सकता क्योंकि उस पर आतंकवाद और जासूसी के आरोप हैं।इंटरनेशनल कोर्ट ने साफ कर दिया कि आर्टिकल 36 में ऐसा कहीं लिखा कि आतंकवाद या जासूसी के आरोपों का सामने कर रहे विदेशी नागरिकों को कॉन्स्यूलर एक्सेस नहीं मिल सकता।
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा इस फैसले ने ये दिखा दिया कि पाकिस्तान की दलीलें गलत थीं। प्रॉपर ट्रायल और मिलिट्री ट्रायल बोगस था। तब तक पाकिस्तान जाधव को फांसी नहीं दे सकता, जब तक इंटरनेशनल कोर्ट फाइनल डिसीजन नहीं सुना देती। सारा भारत और जाधव की फैमिली इत्मिनान से रह सकती है, वो सेफ हैं।