केरल में बाढ़ और बारिश से पिछले नौ दिनों में मरने वालों की संख्या 324 हो गई है. इस गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रात केरल पहुंचे. पीएम मोदी ने कोच्चि में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, केंद्रीय मंत्री केजे अल्फोंस और अन्य अधिकारियों के साथ बाढ़ और राहत कार्यों को लेकर समीक्षा बैठक की.
इसके बाद उन्होंने सीएम विजयन के साथ बाढ़ग्रस्त इलाकों का हवाई दौरा शुरू किया. उनके साथ हेलीकॉप्टर में केजे अल्फोंस भी मौजूद हैं. पीएम मोदी ने बाढ़ की मार झेल रहे केरल के लिए तत्काल आर्थिक सहायता के रूप में 500 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है.
इससे पहले भी पीएम की ओर से 100 करोड़ रुपये आर्थिक सहायता की घोषणा की गई थी. पीएम मोदी ने केरल की बाढ़ और बारिश में मारे गए लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये और गंभीर घायलों को 50-50 हजार रुपये के मुआवजे की घोषणा की है.
यह मुआवजा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से दिया जाएगा. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केरल में भयावह बाढ़ से हुए जानमाल के भारी नुकसान पर शुक्रवार को दुख जताया और राज्य के पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे प्रभावित लोगों की मदद के लिए आगे बढ़ें.
केरल के चिंताजनक हालात को देखते हुए वहां के मुख्यमंत्री पी विजयन ने भी अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है केरल पिछले 100 सालों में सबसे भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है, 80 बांध खोल दिए गए है, 324 जिंदगियां खत्म हो गई और 2 लाख 23 हजार 139 लोगों को 1500 से ज्यादा राहत शिविरों में पहुंचाया गया है.
उन्होंने बाढ़ पीडि़त लोगों की मदद के लिए सभी को आगे आने की भी अपील की है. वहीं राज्य में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी और पेट्रोल पंप में ईंधन की कमी से संकट गहराता दिखा. अधिकारियों ने आज यह जानकारी दी.
करीब एक सदी में आई इस प्रलयंकारी बाढ़ में आठ अगस्त के बाद से अब तक 324 लोगों की मौत हो गई है. बाढ़ और बारिश के चलते इसके चलते इसका पर्यटन उद्योग बर्बाद हो गया है, हजारों हेक्टेयर भूभाग में उपजी फसलें तबाह हो गई हैं और बुनियादी ढांचे को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है.
राज्य में कुल आठ हजार करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया गया है. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) कर्मियों के अलावा सेना, नौसेना, वायुसेना के कर्मियों ने बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित इलाकों में अपने-अपने घरों की छतों, ऊंचे स्थानों पर फंसे लोगों को निकालने का बड़ा कार्य शुरू किया.
ऊंचाई वाले इलाकों में पहाड़ों के दरकने के कारण चट्टानों के टूटकर नीचे सड़क पर गिरने से सड़कें बंद हो गईं जिससे वहां रहने वालों और गांवों में बचे लोगों का संपर्क बाकी की दुनिया से कट गया. ये गांव आज किसी द्वीप में तब्दील हो गए हैं.