कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए पाकिस्तान के साथ बातचीत बहाल करने की बात करते हुए मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कश्मीर में बंद हुई बातचीत के रास्तों को खोलने के लिए पड़ोसी देश से सकारात्मक योगदान की जरूरत है. यहां एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में एनआईए के छापे और अलगाववादी नेताओं की गिरफ्तारी कश्मीर समस्या को सुलझाने का हल नहीं है, यह एक अस्थायी उपाय है.
बीआरआईईएफ द्वारा आयोजित अंडरस्टेंडिंग कश्मीर के सत्र में महबूबा ने कहा पीडीपी-भाजपा गठबंधन इस विश्वास और आशा पर है कि हमलोग पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के जादुई समय को वापस लेकर आएंगे. मुख्यमंत्री ने लाहौर घोषणा का हवाला देते हुए कहा हमें कारगिल और संसद पर हुए हमले के बाद भी उसे जिंदा करने की जरूरत है.
इस लाहौर घोषणा में पाकिस्तान ने भारत को आश्वस्त किया था कि वह भारत विरोधी गतिविधियों के लिए अपनी जमीन का उपयोग नहीं होने देगा.उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों के मन से आजादी का विचार हटाने के लिए उनके सामने कुछ अन्य चीजें पेश करने की जरूरत है और साल 2005 में कश्मीर के आंतरिक मुद्दों को निपटाने के लिए बनाए गए कार्यकारी समूह पर ध्यान देने की जरूरत है.
महबूबा ने कहा कश्मीर पर कार्यकारी समूह की रिपोर्ट कूड़े के डब्बे में डाल दी गई है. हमलोग इस बारे में कुछ भी नहीं कर रहे हैं. मुख्यमंत्री से जब अलगाववादी नेताओं पर हाल ही में हुई एनआईए की कार्रवाई के बारे में पूछा गया तो उन्होनें कहा कि इस तरह की चीजें अंतिम समाधान नहीं देती है.उन्होंने कहा एनआईए के साथ जो भी हुआ वह एक प्रशासनिक पैमाना है. इससे स्थिति पर नियंत्रण हो सकता है, लेकिन यह वास्तविक समस्या का हल नहीं देता है.