उच्च न्यायालय ने लोक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसर्रत आलम की नजरबंदी को शुक्रवार को निरस्त कर दिया लेकिन पाकिस्तानी झंडा लहराने और राष्ट्र विरोधी नारे लगाने के कथित मामलों के संबंध में निचली अदालत से जमानत मिलने तक उनके रिहा होने की संभावना नहीं है। आलम के वकील की ओर से दायर अर्जी पर पहले अपना आदेश सुरक्षित रखने वाले न्यायमूर्ति हसनैन मसूदी ने 45 साल के अलगाववादी नेता की पीएसए के तहत नजरबंदी निरस्त कर दी ।
अप्रैल में उनके खिलाफ दर्ज मामलों के संबंध में निचली अदालत से जमानत मिलने तक उनके जेल में ही रहने की संभावना है।आलम के वकील मियां अब्दुल कयूम ने कहा, ‘अदालत ने ऐहतियातन हिरासत के आदेश निरस्त कर दिये। अब हम संबंधित अदालत से उनके लिए जमानत मांगेंगे।’ अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के नई दिल्ली से आने पर उनके स्वागत में आयोजित एक रैली में पाकिस्तानी झंडा लहराने और राष्ट्र विरोधी नारे लगाने के आरोप में 17 अप्रैल को आलम को गिरफ्तार कर लिया गया था।