कर्नाटक विधानसभा के रुझान में भाजपा कांग्रेस से आगे निकल गई है। शुरुआती एक घंटे के रुझान में कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस आगे रही। पहले आंधे घंटे में कांग्रेस ने बढ़त बना रखी थी। बता दें कि भाजपा के लिए यह चुनाव दक्षिण में एक बार फिर अपनी नई शुरुआत के लिए अहम है तो कांग्रेस के लिए ये उसके अस्तित्व की लड़ाई।
कर्नाटक को छोड़कर कांग्रेस की सरकार पंजाब, मिजोरम और पुडुचेरी में बची है। वहीं, भाजपा 31 राज्यों में से 20 में सत्ता में है। कर्नाटक के गठन के 46 साल बाद इस बार सबसे ज्यादा 72.13% वोटिंग हुई। 2008 (65.1%) के मुकाबले 2013 (71.45%) में करीब 6% वोटिंग ज्यादा हुई थी। तब सरकार बदल गई थी और भाजपा ने पहली बार राज्य में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी।
कर्नाटक में भाजपा ने जब पहली बार अपने बूते सरकार बनाई थी तो 2008 में कमान येदियुरप्पा को सौंपी थी। लेकिन बाद में खनन घोटालों में आरोपों के चलते येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। बाद में पार्टी से नाराज होकर येदियुरप्पा ने दूसरी पार्टी कर्नाटक जनता पक्ष बना ली और 2013 का चुनाव अलग लड़ा।
2013 के चुनाव में भाजपा के हाथ से सत्ता निकल गई। येदियुरप्पा की पार्टी को 6 सीटें मिलीं लेकिन 9.8% वोट मिले। माना गया कि इसी 9.8% वोट शेयर ने भाजपा का रास्ता रोक दिया। इस बार ऐसा नहीं था। पार्टी में वापसी कर चुके येदियुरप्पा ही राज्य में पार्टी का चेहरा और सीएम कैंडिडेट थे। इससे पिछली बार की तरह भाजपा के वोट नहीं कटे और वोटर लामबंद हो गए।
सिद्धारमैया ने चुनाव की तारीखों का एलान होने से ठीक पहले राज्य में लिंगायत कार्ड खेला। इस समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने का विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर केंद्र की मंजूरी के लिए भेजा। माना जा रहा है कि सिद्धारमैया का यह दांव उलटा पड़ा। राज्य में लिंगायतों की आबादी 17% से घटाकर 9% मानी गई।
माना गया कि आबादी को कम आंकने से यह तबका कांग्रेस से खफा हो गया। इस कदम से वोक्कालिगा समुदाय और लिंगायतों के एक धड़े वीराशैव में भी नाराजगी थी।मोदी ने इस चुनाव में 21 रैलियां कीं। कर्नाटक में किसी प्रधानमंत्री की सबसे ज्यादा रैलियां थीं। दो बार नमो एप से मुखातिब हुए। करीब 29 हजार किलोमीटर की दूरी तय की।
इस दौरान मोदी एक भी धार्मिक स्थल पर नहीं गए।मोदी ने 20 करोड़ आबादी और 403 सीट वाले यूपी में 24 रैलियां की थीं। कर्नाटक की आबादी 6.4 करोड़ और 224 सीटें हैं। मोदी ने सबसे अधिक 34 रैलियां गुजरात में और 31 बिहार चुनाव में की थीं।