कर्नाटक में देर शाम दूसरे निर्दलीय विधायक आर शंकर ने भी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। शंकर ने राजभवन में राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात कर भाजपा को समर्थन देने की बात कही।
इससे कुछ घंटे पहले ही निर्दलीय विधायक एच नागेश ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया था।सरकार बचाने की कोशिश में लगे कांग्रेस और जेडीएस के सभी मंत्रियों ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।
जल्द ही कैबिनेट का पुनर्गठन किया जाएगा। मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा कि यह मामला सुलझ गया है। सरकार को कोई खतरा नहीं है। सरकार आसानी से चलेगी।अब जेडीएस नेता और मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के अलावा कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया के सामने सरकार बचाने की चुनौती है।
राज्य में सरकार बनाने और बचाने के लिए भाजपा और जेडीएस में बैठकों का दौर जारी है। सोमवार को उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वरा ने अपने आवास पर कांग्रेस के विधायक और मंत्रियों को नाश्ते पर बुलाया।
इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, मंत्री डीके शिवकुमार, यूटी खादर, शिवशंकरा रेड्डी, वेंकटरमनप्पा, जयमाला, एमबी पाटिल, केबी गौड़ा, राजशेखर पाटिल मौजूद रहे।13 महीने पुरानी गठबंधन सरकार को लेकर होटल ताज वेस्ट एंड में रविवार शाम को भी बैठक हुई थी।
इसमें एचडी देवेगौड़ा, कुमारस्वामी और जी परमेश्वर के अलावा कांग्रेस नेता भी मौजूद थे। बैठक से पहले कुमारस्वामी के मंत्री जीटी देवेगौड़ा ने कहा था कि अगर समन्वय समिति सिद्धारमैया को सीएम बनाती है तो हमें आपत्ति नहीं है।
माना जा रहा है कि गठबंधन सरकार बचाने के लिए कुमारस्वामी इस्तीफा दे सकते हैं और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे नए मुख्यमंत्री बन सकते हैं। न्यूज एजेंसी ने कांग्रेस सूत्रों के हवाले से बताया था कि जेडीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एचडी देवगौड़ा ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को यह सुझाव दिया है कि गठबंधन सरकार बचाने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
उमेश कामतल्ली, बीसी पाटिल, रमेश जारकिहोली, शिवाराम हेब्बर, एच विश्वनाथ, गोपालैया, बी बस्वराज, नारायण गौड़ा, मुनिरत्ना, एसटी सोमाशेखरा, प्रताप गौड़ा पाटिल, मुनिरत्ना और आनंद सिंह इस्तीफा सौंप चुके हैं।
शनिवार को कांग्रेस-जेडीएस के 13 विधायकों ने स्पीकर को इस्तीफा दे दिया था। स्पीकर ने कहा था कि इस्तीफों पर मंगलवार को फैसला लेंगे। अगर 13 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार होते हैं तो विधानसभा में कुल 211 सदस्य रह जाएंगे।
विधानसभा अध्यक्ष को छोड़कर ये संख्या 210 रह जाएगी। ऐसे में बहुमत के लिए 106 विधायकों की जरूरत होगी। ऐसे में कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में आ जाएगी।