मध्य प्रदेश चुनाव में इंदौर जिले की सबसे छोटी विधानसभा सीट इंदौर-3 से बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय ने चुनावी बाजी मार ली है. उन्होंने कांग्रेस कैंडिडेट अश्विनी जोशी को चुनाव में करीब 6000 वोटों से शिकस्त दी है.
खास बात यह है कि आकाश के पिता कैलाश विजयवर्गीय ने भी अपनी जिंदगी में कभी चुनाव नहीं हारा है. अब पिता के कदमों पर चलते हुए बेटे ने भी सफलता की ओर कदम बढ़ाया है.कैलाश विजयवर्गीय का जन्म 1956 में इंदौर में हुआ था. वर्तमान में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कार्यरत हैं.
इंदौर में अपना राजनितिक करियर प्रारंभ कर वे इंदौर नगर के महापौर बने. बिना कोई चुनाव हारे वे लगातार 06 बार विधानसभा के सदस्य चुने गए. पार्टी में केंद्रीय नेतृत्व के लिए पदोन्नत होने से पहले वे बारह वर्ष तक राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे.
साल 2000 में उन्हें ऑल इंडिया मेयर काउंसिल का चेयरमैन भी नियुक्त किया गया था. 2011 और 2013 में उन्होंने मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का चुनाव भी लड़ा लेकिन दोनों बार ज्योतिरादित्य सिंधिया से परास्त हो गए. 2013 में उन्हें इंदौर डिविजनल क्रिकेट एसोसिएशन के प्रमुख चुना गया.
आकाश विजयवर्गीय को टिकट मिलने के बाद राजनीतिक गलियारों में वंशवाद पर चर्चाएं तेज हो गई थीं. बेटे को टिकट मिलने के बाज कैलाश विजयवर्गीय ने इस पर सफाई दी है. वंशवाद की चर्चाओं के बीच उन्होंने ये ऐलान किया कि वो प्रदेश के 229 सीटों के प्रचार के लिए जाएंगे, लेकिन इंदौर-3 की विधानसभा में कदम नहीं रखेंगे.
हालांकि, उनके लिए बेटे को जिताना नाक का सवाल बना हुआ था. कैलाश ने कहा था कि अगर आकाश 15 हजार कम वोटों से जीते तो यह मान लूंगा कि जनता नाराज है.उधर, पराजित प्रत्याशी अश्विन जोशी कांग्रेस के पूर्व मंत्री महेश जोशी के भतीजे हैं. अश्विन तीन बार इस सीट से विधायक रहे हैं.
उससे पहले महेश जोशी यहां से तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं. इस प्रकार सालों तक इस सीट पर ‘चाचा-भतीजे’ का राज रहा है. कांग्रेस का गढ़ रही इस सीट पर 2013 में बीजेपी की ऊषा ठाकुर ने जीत दर्ज की थी. अबकी बार ऊषा ठाकुर को महू से उम्मीदवार बनाया गया है. इंदौर-3 सीट के करीब एक लाख 90 हजार वोटर अपने नेता का चुनाव करते हैं.