जस्टिस एसएन धींगड़ा आयोग को गुरुवार को जांच रिपोर्ट सौंपनी थी। यह आयोग कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा समेत कई लोगों पर गलत ढंग से जमीन लेने-बेचने के आरोपों की जांच कर रहा है। गुरुवार सुबह ही वाड्रा ने अपने ऊपर लगाए जा रहे आरोपों को झूठा और राजनीतिक फायदे के लिए लगाया जा रहा बताया जबकि कांग्रेस के कई नेता धींगड़ा पर ही आरोप लगाने लगे। वैसे, धींगड़ा ने रिपोर्ट सौंपने के लिए डेढ़ माह का समय मांगा है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के बीच हुए जमीन सौदे की जांच के लिए सरकार द्वारा ढींगरा आयोग का गठन किया गया था। लंबे इंतजार के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि गुरुवार को आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा लेकिन आयोग ने फिर 6 हफ्तों का समय मांग लिया।
सूत्रों के मुताबिक जस्टिस ढींगरा ने जांच के लिए और मोहलत मांगते हुए मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को सूचित किया कि उन्हें कुछ नई जानकारियां मिली हैं, जो कि इस जमीन सौदे में शामिल सरकारी अधिकारियों की पहचान में मददगार साबित हो सकती हैं।कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के शासनकाल के दौरान रॉबर्ट वाड्रा और अन्य डेवलपरों द्वारा किए गए जमीन सौदों की जांच के लिए भारतीय जनता पार्टी की मनोहरलाल खट्टर सरकार ने लगभग एक साल पहले रिटायर्ड जस्टिस ढींगरा को नियुक्त किया था।
जांच के दौरान इस बात पर भी विवाद हुए कि दिल्ली हाईकोर्ट में जज रह चुके 67-वर्षीय जस्टिस ढींगरा ने रॉबर्ट वाड्रा या उनकी रियल एस्टेट कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी के किसी प्रतिनिधि या इस सौदे में कथित गडबडियों को उजागर करने वाले वरिष्ठ अफसर अशोक खेमका को भी पूछताछ के लिए नहीं बुलाया।हालांकि जस्टिस ढींगरा ने कहा कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि वह सिर्फ सरकारी अफसरों से आमने-सामने मुलाकात करना चाहते थे, और प्राइवेट पार्टियों को अलग से सवाल भेज दिए गए थे, जिनके जवाब उन्होंने दाखिल कर दिए हैं।