दिल्ली हाई कोर्ट ने जेएनयू के छात्र नजीब अहमद के लापता होने के मामले में पिछली बार दायर की गई रिपोर्ट ही इस बार भी दायर करने को लेकर सीबीआई को फटकार लगाई और कहा कि ‘यह मामला मजाक करने के लिए एजेंसी को हस्तांतरित नहीं किया गया है. न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी और न्यायमूर्ति चंद्र शेखर की पीठ ने एजेंसी से कहा इसमें कुछ नया नहीं है.
यह वही रिपोर्ट है जो 17 जुलाई को दायर की गई थी. हमने आज (मंगलवार, 8 अगस्त) ढाई पृष्ठ की रद्दी की समीक्षा करने के लिए उस दिन सुनवाई स्थगित नहीं की थी. पीठ ने सीबीआई को छह सितंबर को सुनवाई की आगामी तिथि से पहले ताजा स्थिति रिपोर्ट दायर करने का आदेश दिया.पीठ ने कहा हमने मजाक करने के लिए सीबीआई के पास मामला हस्तांतरित नहीं किया है.
उसने कहा कि 17 जुलाई की रिपोर्ट दिखाती है कि एजेंसी ने केवल दिखावे के लिए कदम उठाए हैं. पीठ ने कहा कि वह अन्य की कीमत पर सुनवाई के लिए मामलों को सूचीबद्ध करती है. उसने सीबीआई से कहा इसे आज सूचीबद्ध करने का मतलब क्या था? केवल यह कहना कि रिपोर्ट दायर कर दी गई है? पीठ ने सुनवाई के दौरान सीबीआई से पूछा कि छात्र के लापता होने से पहले की रात उसे पीटने के आरोपियों के साथ पूछताछ में क्या हुआ.
एजेंसी ने इसके जवाब में कहा कि वह अपनी स्थिति रिपोर्ट में यह बताएगी.सीबीआई ने यह भी कहा कि उसकी जांच आगे बढ़ी है और उसे मामला सुलझने का विश्वास है, लेकिन इसमें थोड़ा समय लगेगा. उसने कहा कि अपनी जांच के तहत वह दिल्ली पुलिस द्वारा पूर्व में की गई जांच की भी समीक्षा कर रही है.
उच्च न्यायालय ने 16 मई को आदेश दिया था कि अक्तूबर 2016 से लापता छात्र से जुड़ी रहस्यमयी परिस्थितियों की जांच सीबीआई अपने हाथ में ले. यह आदेश नजीब की मां फातिमा नफीस की याचिका पर दिया गया था जिन्होंने अपने बेटे का पता लगाने के लिए पिछले साल 25 नवंबर को अदालत को दरवाजा खटखटाया था. नजीब जेएनयू छात्रावास से 15 अक्तूबर 2016 को लापता हो गया था.