पत्थलगड़ी समर्थकों ने लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष आैर खूंटी के भाजपा सांसद करिया मुंडा के अनिगड़ा स्थित आवास पर हमला कर दिया। सांसद के आवास पर तैनात तीन हाउस गार्ड को अगवा कर लिया। कड़िया मुंडा का बॉडीगार्ड किसी तरह अपनी यूनिफार्म उतारकर मौक से भागा और जान बचाई। उनसे तीन इंसास राइफल लूट ली गईं।
दरअसल इस हमले से पहले खूंटी गैंगरेप के आरोपियों पर कार्रवाई करने गई पुलिस फोर्स से पत्थलगड़ी समर्थकों का जमकर टकराव हुआ। जिसमें एक जवान की एके-47 लेकर एक पत्थलगड़ी समर्थक भाग गया। उसके बाद पुलिसकर्मियों को खदेड़ते हुए पत्थलगड़ी समर्थक सांसद के आवास तक पहुंच गए।
इस दौरान लाठीचार्ज करने वाला एक सिपाही दौड़ते हुए उनके घर की तरफ आया। उसे खोजते हुए पत्थलगड़ी समर्थक उनके घर में घुस आए और हमला बोल दिया।वहीं जानकारी के मुताबिक खूंटी डीसी सूरज कुमार और एसपी अश्विनी सिन्हा सुबह से शाम तक हर मोर्चे पर तैनात रहे। ठोस कार्रवाई न करने की हिदायत के बावजूद वे ग्रामीणों के सामने रात भर डटे रहे।
रात 2 बजे के करीब उन्हें ये आदेश दिया कि सुबह अतिरिक्त पुलिस दस्ते के पहुंचने के बाद ही कोई कार्रवाई करना है। बताया जाता है कि सुबह कार्रवाई करने सैकड़ों की संख्या में पुलिस जवान खूंटी के लिए रवाना हो चुके हैं। जिस समय हमला हुआ मुंडा और उनके दोनों बेटे जगन्नाथ मुंडा और अमरनाथ मुंडा दिल्ली में थे।
खूंटी इलाके के मदरूडीह, घाघरा, कुदाडीह और मदगड़ा गांव में पहले से ही पत्थलगड़ी की योजना थी। मंगलवार सुबह चार गांवों के सैकड़ों लोग जुटे। पुलिस को खूंटी गैंगरेप के मास्टरमाइंड माने जा रहे जॉन जुनास तिड़ू और पत्थलगड़ी नेता जोसेफ पूर्ति समेत अन्य के यहां होने की सूचना मिली। करीब 350 पुलिसकर्मी मदरूडीह गांव में घुस गए।
ग्रामीणों ने विरोध करते हुए पूछा कि जब यहां कोई दुष्कर्म नहीं हुआ तो इतनी बड़ी संख्या में पुलिस क्यों पहुंची? इस दौरान सभी ग्रामीण हथियारों से लैस थे। वे उग्र हो गए और पत्थलगड़ी स्थल से पुलिसकर्मियों को खदेड़ते हुए करीब तीन किलोमीटर दूर अनिगड़ा ले गए। यहां करिया मुंडा के आवास के पास पुलिस ने एक बार फिर मोर्चा संभाला।
ग्रामीणों को लौटने की हिदायत दी, लेकिन वे नहीं माने। झड़प हुई तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इसके बाद कई गांवों से लोग बड़ी संख्या में एकजुट हो गए और पुलिस टीम को घेर लिया।सांसद के आवास से अगवा किए गए तीन हाउस गार्ड्स में सुबोध कुजूर, विनोद केरकेट्टा और सिमोन सुरीन शामिल हैं। बॉडीगार्ड बैजू उरांव किसी तरह वहां से भागने में कामयाब रहा।
पत्थलगड़ी समर्थकों ने तीन गार्डों को छोड़ने के लिए शर्त रखी कि खूंटी डीसी और एसपी समेत सिर्फ 5 लोग ही आकर उनसे बातचीत करें। ऐसे में आशंका थी कि वे उन्हें भी बंधक बना लेंगे। इसलिए उनकी शर्त नहीं मानी गई, लेकिन पूरी फोर्स देर रात तक इस बात पर अड़ी है कि अगवा किए गए तीन गार्डों को साथ लिए बिना वह वापस नहीं लौटेंगे।
मुंडा की बहू ने भास्कर संवाददाता को बताया कि दोपहर करीब 1:30 बजे के आसपास अचानक सैकड़ों ग्रामीणों ने घर पर धावा बोल दिया। कुछ लड़के-लड़कियां मेरे घर में जबरन घुस आए और अंदर जाकर एक-एक कमरा चेक किया, लेकिन कोई नहीं मिला। इसके बाद में घर पर तैनात तीनों गार्ड को वह अपने साथ ले जाने लगे।
कुछ लड़कियों ने जबरन मुझे ले जाने की कोशिश की, लेकिन गांव के ही कुछ लोगों ने कहा कि ये बहू हैं इन्हें छोड़ दो। अचानक हुए इस घटना से मुझे कुछ समझ में नहीं आया। एसपी को फोन किया गया, तो उन्होंने कहा कि हम लोग पहुंच रहे हैं, लेकिन शाम 5:00 बजे तक मौके पर कोई नहीं पहुंचा। इस दौरान हम लोग काफी डरे हुए थे।
सांसद करिया मुंडा ने कहा पत्थलगड़ी मामले में सरकार लापरवाही बरत रही है। लोगों के जानमाल की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इन मामलों में सरकार का ढीलापन समझ से परे है। पत्थलगड़ी जब शुरू हुई, तभी सरकार का ध्यान इस पर दिलाया, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया।
समस्या उसी समय सुलझाने की कोशिश की जाता तो शायद इतनी गंभीर स्थिति नहीं होती। अब सरकार को कानून विरोधी काम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए और हमारी सुरक्षा पर भी विचार करना चाहिए।
पत्थलगड़ी आदिवासी समाज की परंपरा है, जिसके जरिए से गांव का सीमांकन किया जाता है, लेकिन अब इसी की आड़ में गांव के बाहर अवैध ढंग से पत्थलगड़ी की जा रही है। पत्थर पर ग्राम सभा का अधिकार दिलाने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेदों (आर्टिकल) की गलत व्याख्या करते हुए ग्रामीणों को आंदोलन के लिए उकसाया जा रहा है।