झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यूपीए विधायकों की एक बैठक बुलाई। भारत के चुनाव आयोग ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत झारखंड के राज्यपाल को उनकी सदस्यता रद्द करने के संबंध में रिपोर्ट भेजी है।झारखंड में सबकी निगाहें राजभवन पर टिकी हैं। भारत के निर्वाचन आयोग ने विधायक हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने की अनुशंसा राजभवन को भेजी है।
राज्यपाल रमेश बैस निर्वाचन आयोग की अनुशंसा के आधार पर शुक्रवार को किसी भी वक्त आदेश जारी कर सकते हैं।विधायकी जाने पर हेमंत सोरेन को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। हालांकि सत्ताधारी गठबंधन के पास विधानसभा में पर्याप्त संख्या बल है, इसलिए हेमंत सोरेन के संभावित इस्तीफे के बाद भी नये सिरे से इसी गठबंधन की सरकार बने रहने के आसार हैं।
बदलती हुई राजनीतिक परिस्थितियों के मुताबिक, त्वरित फैसला लेने के लिए यूपीए गठबंधन के विधायकों और आला नेताओं की बैठक 11 बजे से सीएम हाउस में शुरू हुई है। यूपीए के सभी विधायकों को अगले कुछ दिनों तक रांची में ही रहने को कहा गया है, ताकि हेमंत सोरेन के इस्तीफा देने की सूरत में नई सरकार के लिए पूर्ण संख्याबल के साथ दावा पेश किया जा सके।
बता दें कि हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर यह संकट इस वजह से आया कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए रांची के अनगड़ा में अपने नाम 88 डिसमिल के क्षेत्रफल वाली पत्थर खदान लीज पर ली थी। भाजपा ने इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ का पद) और जन प्रतिनिधित्व कानून के उल्लंघन का मामला बताते हुए राज्यपाल के पास शिकायत की थी।
राज्यपाल ने इसपर चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा था। आयोग ने शिकायतकर्ता और हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर इस मामले में उनसे जवाब मांगा और दोनों के पक्ष सुनने के बाद राजभवन को मंतव्य भेज दिया है। इसके बाद से ही राज्य में सियासी उथल-पुथल बनी हुई है।सूत्रों ने बताया कि बैठक में विधायकों के साथ भविष्य की राजनीतिक रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
उन्होंने इस विवाद के लिए विपक्षी भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। सोरेन ने कहा ऐसा लगता है कि बीजेपी नेताओं और उनकी चाटुकारों ने रिपोर्ट का मसौदा तैयार किया है जो सीलबंद लिफाफे में है।उन्होंने कहा कि आधिकारिक तौर पर उनसे कोई बातचीत नहीं हुई है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि भाजपा उनके खिलाफ उनकी याचिका को लेकर आश्वस्त दिख रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और भाजपा द्वारा उन्हें अयोग्य ठहराए जाने की मांग के बाद चुनाव आयोग ने सोरेन की विधानसभा सदस्यता के मुद्दे पर राज्यपाल को पत्र भेजा है।भाजपा नेताओं ने सोरेन पर माइनिंग लीज पर देने का आरोप लगाते हुए इसे लाभ के पद और जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन बताया और इस मुद्दे पर राज्यपाल को पत्र लिखा।
पोल पैनल की सिफारिशों पर राज्यपाल का आदेश जारी होने से सोरेन की विधानसभा की सदस्यता खत्म हो सकती है और ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।हालांकि सोरेन के नेतृत्व वाले झामुमो-कांग्रेस गठबंधन के पास विधानसभा में बहुमत है और उनके इस्तीफे के बाद, वह फिर से राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं।