बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नोटबंदी का समर्थन किए जाने पर निर्णय लिया है कि वह इसके विरोध में विपक्ष के सोमवार को प्रस्तावित भारत बंद और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा आगामी 30 नवंबर को पटना दिए जाने वाले धरना कार्यक्रम से अपने को अलग रखेगा।जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने रविवार को कहा कि हम लोगों ने केंद्र सरकार के नोटबंदी (500 और 1000 रुपये के नोट का विमुद्रीकरण) का जोरदार समर्थन किया है।
ऐसे में हम कैसे इसके विरोध में होने वाली गतिविधियों यथा बंद अथवा धरना के हिस्सा होंगे। सिंह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के कालाधन पर प्रहार करने के नोटबंदी के फैसले के विरोध में आगामी सोमवार को विपक्ष के ‘भारत बंद’ कल शाम करीब दो घंटे चली बैठक में शामिल थे, जिसकी अध्यक्षता नीतीश ने की थी।जदयू की इस बैठक में के सी त्यागी, आर सी पी सिंह, हरिवंश, पवन वर्मा, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
जदयू के महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता के सी त्यागी ने भी कहा कि जदयू नोटबंदी के विरोध में 28 नवंबर के ‘भारत बंद’ के साथ आगामी 30 नवंबर को ममता बनर्जी के धरना का हिस्सा नहीं बनेगा।उन्होंने कहा कि हमलोगों ने नोटबंदी को लेकर सैद्धांतिक मार्ग अपनाया है ऐसे में इसे वापस लेने के लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के हिस्सा बन सकते हैं।
सिंह ने कहा कि नोटबंदी को लेकर पहले दिन से ही हमारा रुख स्पष्ट है और केंद्र का यह कदम जदयू के नेताओं की लंबे समय से कालाधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई को मजबूती प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का मानना है कि अगर बेहतर प्रबंध किया जाता तो नोटबंदी के कारण लोगों को इतनी कठिनाई नहीं और इस मुद्दे को हम संसद के साथ-साथ अन्य उपयुक्त फोरम पर उठाएंगे।
बिहार में महागठबंधन सरकार में शामिल जदयू ने जहां नोटबंदी के विरोध में विपक्ष के भारत बंद के आहवान से दूर रहने का निर्णय लिया है। वहीं इस सरकार में कांग्रेस और राजद ने इसका समर्थन करने का निर्णय लिया है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी के इस निर्णय से जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने सहयोगी दलों राजद के प्रमुख लालू प्रसाद और बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष अशोक चौधरी को अवगत करा दिया है।
उल्लेखनीय है कि गत 25 नवंबर को नीतीश ने नोटबंदी का एक बार फिर समर्थन करते हुए इसको लेकर महागठबंधन में किसी प्रकार की दरार को खारिज किया था और कहा था कि नोटबंदी का यह कदम कोई साधारण कदम नहीं, बहुत साहसिक कदम है, पर इसे लागू करने के लिए तैयारी और की गयी होती तो किसी को कठिनाई नहीं होती।
उन्होंने यह भी दोहराया था कि केवल नोटबंदी से नहीं बल्कि बेनामी संपत्ति पर जब तक प्रहार नहीं किया जाएगा कालेधन के खिलाफ की गयी कार्रवाई का उतना परिणाम नहीं आएगा जितना अपेक्षित है।गौरतलब है कि नीतीश ने गठबंधन में दरार को खारिज करते हुए कहा था कि बिहार में जदयू, राजद और कांग्रेस का जो महागठबंधन बना। सरकार चल रही है। बिलकुल साझा एजेंडा पर काम चल रहा है। आपसी समझदारी है।
किसी प्रकार की कोई भ्रांति नहीं है। नीतीश ने कहा था कि इसका मतलब यह कतई नहीं होता कि बिहार में तीन दलों का गठबंधन है तो दुनिया के सारे मुद्दे पर हम लोग एक राय होंगे। यह असंभव है।कभी नरेंद्र मोदी की घोर विरोधी रही जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह से यह पूछे जाने पर कि उनकी पार्टी द्वारा मोदी के निर्णय (नोटबंदी) का समर्थन किए जाने को क्या जदयू और मोदी की पार्टी भाजपा के नजदीक आने के तौर पर देखा जा सकता है, उन्होंने इसे खारिज करते और बेबुनियाद बताया तथा कहा कि भाजपा से जिन मुद्दों को लेकर मतभेद है, वह अब भी कायम हैं।