वित्तमंत्री अरुण जेटली का कांग्रेस उपाध्यक्ष पर हमला

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अरुण जेटली ने कांग्रेस उपाध्यक्ष की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि राजीव गांधी, इन्दिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू ने कभी राष्ट्रविरोधियों से सहानुभूति नहीं जताई.उन्होंने आगे कहा, लेकिन राहुल गांधी ने ऐसी ताकतों का समर्थन करके दुर्भाग्यपूर्ण खोखले वैचारिक पतन का परिचय दिया है.जेटली ने आरोप लगाया कि कम्युनिस्टों ने संविधान बनने से लेकर चीन के आक्रमण तक राष्ट्रविरोधी रवैया अपनाया. लेकिन कांग्रेस सहित सभी राष्ट्रवादी पार्टियां और संगठन इसके खिलाफ हमेशा खड़े हुए.

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आज एक विचित्र स्थिति बनी है कोई याकूब मेमन, तो कोई अफजल गुरू की याद में कार्यक्रम करना चाहता है. ऐसा करने वालों में एक छोटा वर्ग जेहादियों का है और बड़ा वर्ग साम्यवादियों का है.’’वित्तमंत्री ने वृन्दावन में भारतीय जनता युवा मोर्चा के द्विदिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन भाषण में कहा, ‘‘(जेएनयू में) देश तोड़ने के नारे लगे.

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज तक मुख्य धारा में रही कांग्रेस के नेता (राहुल गांधी) वहां सहानुभूति प्रकट करने पहुंच गए. यह कभी गांधीजी ने नहीं किया. अंबेडकर ने नहीं किया. जवाहर लाल नेहरू ने नहीं किया. इन्दिरा गांधी ने नहीं किया. राजीव गांधी ने नहीं किया. उन्होंने (राहुल गांधी) ऐसा किया. जो एक वैचारिक खोखलापन था.’’

जेटली ने कहा, ‘‘ऐसे में भाजपा की जिम्मेदारी बनी है कि हम अपनी राष्ट्रीय जिम्मेदारी को आगे बढ़ाएं और उसमें हमारी विजय भी हुई है. विजय इस मायने में कि जो लोग देश के टुकड़े-टुकड़े का नारा लगाते हुए जेल गए, लेकिन जेल से बाहर आए तो उन्हें जयहिन्द और तिरंगे के साथ भाषण देना पड़ा. यह हमारी वैचारिक जीत हुई.’’

इस अधिवेशन का उद्घाटन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने किया था. इसमें वीके सिंह, पीयूष गोयल, प्रकाश जावड़ेकर, स्मृति ईरानी, कलराज मिश्र, रामलाल, निरंजन ज्योति, धर्मेन्द्र प्रधान, संजीव बालियान, रमन सिंह, शिवराज सिंह चौहान आदि भाजपा और संघ से जुड़े कई नेताओं ने हिस्सा लिया और इनमें से अधिकतर ने राहुल गांधी को अपने निशाने पर रखा.

जेटली ने कम्युनिस्टों को खास निशाने पर रखते हुए कहा कि जब-जब देश के सामने चुनौतियां आई हैं राष्ट्रवादी विचारधारा का मुकाबला साम्यवादी विचारधारा से हुआ है. ये साम्यवादी ही थे जो गांधीजी को सामंती कहते थे और इन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया था. आजादी के बाद भी चूंकि लोकतंत्र में उनका विश्वास नहीं था इसलिए उनकी रणनीति यह बनी कि देश के टुकड़े-टुकड़े करके उस पर कब्जा किया जाए. तेलंगाना सशस्त्र उसी प्रयोग का एक हिस्सा था.

उन्होंने संविधान पेश करते समय बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के भाषण के उस अंश को भी उद्धृत किया जिसमें उन्होंने कहा था कि सब इस संविधान को स्वीकार कर लेंगे लेकिन कम्युनिस्ट नहीं करेंगे. क्योंकि उनकी विचारधारा हिंसा के जरिए सत्ता पर कब्जा करने की है.जेटली ने आरोप लगाया कि 1962 में चीन से लड़ाई के समय भी साम्यवादियों ने यह राष्ट्रविरोधी रुख अपनाया कि आक्रमण चीन ने नहीं, भारत ने किया था.जेटली ने आरोप लगाया कि देश के हित के खिलाफ बोलना साम्यवादियों की विरासत का हिस्सा है.

उन्होंने कहा कि 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने मनमोहन सिंह के कमजोर नेत्रृत्व वाले 10 साल पुराने यूपीए शासन को उखाड़ फेंका और साथ ही वंशवाद पर आधारित सभी दलों के नेतृत्व को ठुकरा दिया. वह चुनाव भ्रष्टाचार के खिलाफ भी एक संघर्ष था और देश से गरीबी, पिछड़ेपन मिटाने की मोदी की चुनौती को स्वीकार कर जनता ने देश का नेतृत्व उन्हें सौंप दिया.

वित्तमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अब तीन जिम्मेदारियां बनाई हैं. पहली, देश को वंशवाद से आज़ादी दिलाई, दूसरा भ्रष्टाचार से आज़ादी दिलाई और अब तीसरा गरीबी-भुखमरी से आज़ादी दिलवानी है. उन्होंने कहा कि सरकार इन तीन दिशाओं में काम कर रही है.उन्होंने कहा कि 21 महीने की नरेंद्र मोदी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि यही है कि इस दौरान भ्रष्टाचार का विषय सामने नहीं आया.उन्होंने कहाकि दुनिया में भारी मंदी के बावजूद भारत इस समय विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है.

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