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संयुक्त राष्ट्र न्यायाधिकरण का इतालवी मरीन के पक्ष में फैसला

Italian-marines

संयुक्त राष्ट्र न्यायाधिकरण ने दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी एक इतालवी मरीन के पक्ष में फैसला देते हुए उसे मध्यस्थता की कार्यवाही लंबित रहने तक भारत से स्वदेश लौटने की इजाजत दे दी है। सल्वातोर गिरोन और मस्सीमिलियानो लातोर वे दो इतालवी मरीन हैं जिन्होंने 2012 में करेल के तट से दूर दो भारतीय मछुआरों की कथित तौर पर हत्या कर दी थी। लातोर 2014 में इटली वापस आ गया था, जबकि गिरोन नयी दिल्ली स्थित भारतीय दूतावास में है।

दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र अदालत की ओर से मध्यस्थता पर सहमति जताई है। खबरों के अनुसार संयुक्त राष्ट्र न्यायाधिकरण ने फैसला दिया है कि मध्यस्थता की कार्यवाही लंबित रहने तक गिरोन को स्वदेश लौटने की इजाजत दी जा सकती है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने एक बयान में कहा कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने सर्वसम्मति से यह कहा है कि भारत और इटली गिरोन की जमानत की शर्तों में ढील देने के लिए भारत के उच्चतम न्यायालय का रूख कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि न्यायाधिकरण ने गिरोन की जमानत की शर्तें तय करना उच्चतम न्यायालय पर छोड़ दिया है और यह कहा कि मध्यस्थता का मामला लंबित रहने तक मरीन इटली लौट सकता है, हालांकि वह भारत की सबसे बड़ी अदालत के प्राधिकार के अंतर्गत बना रहेगा। न्यायाधिकरण के फैसले को कल सार्वजनिक किया जा सकता है।

बहरहाल, नयी दिल्ली में सूत्रों ने उन खबरों से इंकार किया कि मरीन को मुक्त किए जाने का आदेश आया है। सूत्रों ने कहा कि इटली उस आदेश को ‘गलत ढंग से पेश कर रहा है’ जिसमें इस मामले पर भारतीय उच्चतम न्यायालय के प्राधिकार पर जोर दिया गया है।

भारत तक पहुंचने वाली सूचना में कहा गया है, ‘भारत और इटली से कहा गया है कि वे गिरोन के लिए जमानत की शर्तों में राहत देने को लेकर उच्चतम न्यायालय का रूख करें। उसकी संभावित वापसी पूरी तरह से इटली की इस गारंटी की शर्त पर निर्भर है कि जरूरत पड़ने पर उसे भारत वापस आने दिया जाएगा।’

इतालवी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘विदेश मंत्रालय सूचित करता है कि हेग में स्थापित मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने अपने उस फैसले को लेकर आशा प्रकट की कि सरकार की ओर से 26 जून, 2015 से शुरू की गई मध्यस्थता की प्रक्रिया के पूरा होने तक गिरोन रायफलमैन को (इटली वापस आने की) इजाजत दी जाएगी। वापसी की शर्तों को लेकर इटली और भारत के बीच सहमति बनेगी।’ 

इटली ने मार्च महीने में संयुक्त राष्ट्र मध्यस्थता अदालत (पीसीए) के न्यायाधीशों से कहा था गिरोन को रिहा करने के लिए भारत को आदेश दिया जाए और साथ ही उसने यह भी कहा था कि अगर गिरोन को रिहा नहीं किया जाता तो उसे बिना किसी आरोप के चार वर्षों तक भारत में रहना पड़ सकता है जो ‘मानवाधिकार का घोर उल्लंघन होगा।’ पीसीए दोनों पक्षों की मौखिक दलीलें सुन रहा है।

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