रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने टैक्टिकल परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की पाकिस्तान की धमकी की खबरों को भी खारिज करते हुए कहा थोथा चना बाजे घना.उन्होंने कहा कि उरी हमले जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो, इसके लिए कदम उठाये जाएंगे.पर्रिकर ने कहा हम हर चीज का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं और मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री के ये शुरूआती शब्द महज बयानबाजी नहीं समझी जानी चाहिए कि हमले के जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाएगा.
सजा कैसे दी जानी है, उसके लिए हमें काम करना है. हम इस बारे में काफी गंभीर हैं.वह इस संबंध में प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे कि हमले पर भारत की प्रतिक्रिया किस तरह की होगी.पाकिस्तान द्वारा टैक्टिकल परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी की खबरों के बारे में पूछे जाने पर पर्रिकर ने कहा कि जो गरजते हैं, वो बरसते नहीं हैं.
उन्होंने कहा थोथा चना बाजे घना. यह देश एक बहुत जिम्मेदार महाशक्ति है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि मैं इस तरह के आतंकवाद पर आंखें मूंदे रहूंगा जिसे सीमापार से अंजाम दिया जा रहा है. मैं इस पर कैसे काम करता हूं, यह पूरी तरह प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार को फैसला करना है.
पर्रिकर ने कहा जाहिर है कुछ तो गलत हुआ होगा. मैं इस बारे में विस्तार से बात नहीं करंगा. निश्चित रूप से यह बहुत संवेदनशील मामला है.उन्होंने कहा जब कुछ गलत होता है तो आप इसे सुधारने की कोशिश करते हैं, साथ ही यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि दोबारा यह नहीं हो. हम निश्चित रूप से पता लगाएंगे कि क्या गलत हुआ और दोबारा यह नहीं हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएंगे.
पर्रिकर के बयान ऐसे दिन आये हैं जब सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की.पाकिस्तानी उच्चायुक्त तलबभारत ने बुधवार को पाकिस्तान से दो टूक कहा कि उसे जो सबूत मिले हैं उससे यह पता चलता है कि उरी हमले में पाक आधारित आतंकवादियों की संलिप्तता थी और उसने यह भी कहा कि वह नयी दिल्ली के खिलाफ आतंकवाद का समर्थन और प्रायोजन करने से बचे.
विदेश सचिव एस जयशंकर ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब किया और उनसे कहा कि उरी में हुआ आतंकी हमला सिर्फ इस बात को रेखांकित करता है कि पाकिस्तान में आतंकवाद का ढांचा सक्रिय बना हुआ है.जयशंकर ने आतंकवादियों के शव से मिले जीपीएस का ब्यौरा भी बासित को सौंपा जिसके जरिए वे अपने साथियों के संपर्क में थे.
इस जीपीएस के ब्यौरे से यह भी संकेत मिलता है कि आतंकवादियों ने किस स्थल से और किस समय नियंत्रण रेखा पार की तथा घटनास्थल तक पहुंचने का उनका रास्ता क्या था. आतंकवादियों के पास पाकिस्तानी निशान वाले हथगोले भी थे जो उरी हमले में पाकिस्तान की भूमिका का सबूत है. हमले में सेना के 18 जवान शहीद हो गए थे.
विदेश सचिव ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त से कहा अगर पाकिस्तान की सरकार इन सीमा पार हमलों की जांच कराने की इच्छुक है तो भारत उरी एवं पुंछ हमलों में मारे गए आतंकवादियों के फिंगरप्रिंट और डीएनए नमूने प्रदान करने को तैयार है.जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद के समर्थन और प्रायोजन से दूर रहने की अपनी सार्वजनिक प्रतिबद्धता पर खरा उतरे.
उन्होंने बासित को याद दिलाया कि पाकिस्तान ने जनवरी, 2004 में यह प्रतिबद्धता जताई थी कि वह भारत के खिलाफ अपनी सरजमीं अथवा नियंत्रण वाले क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं होने देगा. इस हलफनामे का निरंतर और तेजी से हो रहा उल्लंघन गंभीर चिंता का विषय है.विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस साल की शुरूआत पठानकोट हमले के साथ हुई और हथियारबंद आतंकवादियों ने नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने का निरंतर प्रयास किया है ताकि भारत में हमले कर सकें.
उसने कहा नियंत्रण रेखा पर अथवा इसके आसपास 17 ऐसी कोशिशों का पता चला जिसका नतीजा यह रहा कि 31 आतंकवादियों का खात्मा किया गया और आतंकवादी गतिविधियों के उनके इरादे को नाकाम किया गया. विदेश सचिव ने बासित को यह भी याद दिलाया कि यहां तक कि उन्होंने नियंत्रण रेखा पर चल रहे दो घटनाक्रमों के बारे में बात की थी.