भारत वृद्धि के मामले में प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ऊपर है. यह बात विश्व बैंक के ताजा आंकड़ों में कही गई.विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और वरिष्ठ अध्यक्ष ने बुधवार वैश्विक आर्थिक संभावना रपट जारी करने के बाद कहा ‘इस साल 7.5 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि के साथ भारत पहली बार विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के वृद्धि की संभावना के लिहाज से सबसे आगे है.रपट में कहा गया कि चीन की वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है. विकसित देशों की वृद्धि दर अब इस साल 4.4 प्रतिशत, 2016 में 5.2 प्रतिशत और 2017 में 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है.रपट में कहा गया कि चीन में सतर्क प्रबंधन के बीच नरमी बरकरार है और इस साल इसकी वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत पर बरकरार रह सकती है. भारत जो पेट्रोलियम आयातक है, में सुधार से भरोसा बढ़ा है और पेट्रोलियम मूल्य में गिरावट से संवेदनशीलता कम हुई है जिससे 2015 में अर्थव्यवस्था के 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करने का रास्ता साफ हुआ.
बसु ने कहा कि धीरे-धीरे लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था की धुरी निश्चित तौर पर बदल रही है. उन्होंने कहा ‘चीन ने फिलहाल मुश्किलें कुशलतापूर्वक टाल दी हैं और आसानी से 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर की ओर बढ़ रहा है. ब्राजील जो भ्रष्टाचार के घोटाले के कारण सुर्खियों में है, वह कम भाग्यशाली रहा और नकारात्मक वृद्धि के दौर में है.’उन्होंने इस बदलाव पर सबसे बड़ी छाया आखिरकार अमेरिकी अर्थव्यवस्था में तेजी की रहेगी.दक्षिण एशिया में वृद्धि इस साल 6.1 प्रतिशत बरकरार रहने की उम्मीद है जिसका नेतृत्व भारत में चक्रीय सुधार करेगा और इससे उच्च आय वाले देशों में धीरे-धीरे मांग बढ़ने से मदद मिलेगी.
रपट में कहा गया कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमत में गिरावट इस क्षेत्र के लिए बड़ा फायदा रहा है. इससे राजकोषीय स्थिति और चालू खाते में सुधार के अलावा कुछ देशों में सब्सिडी सुधार करने और मौद्रिक नीति में उदारता को प्रेरित कर रहा है.भारत में नए सुधार से कारोबार तथा निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है और नया पूंजी प्रवाह आकषिर्त हो रहा है. इससे इस साल 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करने में मदद मिलनी चाहिए.रपट के मुताबिक विकासशील देशों के सामने 2015 में कई तरह की कठिन चुनौतियां हैं जिनमें उच्च ब्याज दर की बढ़ती आशंकाएं शामिल हैं.