इंडियन आर्मी ने अब नई राइफलें खरीदने की प्रॉसेस तेज कर दी है। आर्मी को जल्द ही 1.85 लाख असॉल्ट राइफल्स की जरूरत है। सरकारी कंपनी राइफल फैक्टरी, ईशापुर की बनाई राइफलों को आर्मी ने यह कहते हुए रिजेक्ट कर दिया था कि ये उसके क्वॉलिटी और डिमांडिंग स्टैंडर्ड्स के हिसाब से सही नहीं हैं। आर्मी में फिलहाल, इंसास राइफल का इस्तेमाल किया जा रहा है।
ये काफी पुरानी हो चुकी हैं। बॉर्डर सिक्युरिटी और काउंटर टेररिज्म ऑपरेशंस के लिहाज से अब ये पहले जितनी इफेक्टिव नहीं रहीं क्योंकि बदलते वक्त के साथ जरूरतें और चैलेंज भी बदल गए हैं।आर्मी को अब 7.62×51 mm राइफल की सख्त जरूरत है। उसने कहा है कि उसे कम से कम 65 हजार राइफलें तो फौरन चाहिए। आर्मी ने कहा है कि बॉर्डर और काउंटर टेररिज्म ऑपरेशंस के लिहाज से इनकी जरूरत बहुत ज्यादा है।
डिफेंस मिनिस्ट्री ने आर्मी की जरूरत को देखते हुए उसके रिक्वायरमेंट स्टैंडर्ड्स के हिसाब से राइफलों की तलाश काफी तेज कर दी है।न्यूज एजेंसी के मुताबिक, डिफेंस मिनिस्ट्री ने रिक्वेस्ट फॉर इन्फॉर्मेशन यानी आरएफआई जारी की है। इसके जवाब में 20 गन मैन्यूफेक्चरर्स ने एप्लीकेशंस भेजी हैं। अब इन एप्लीकेशंस को स्क्रूटनाइज किया जा रहा है। इसके बाद प्रॉसेस बढ़ाई जाएगी।
पिछले महीने आर्मी ने सरकारी राइफल कंपनी की 7.62×51 गन्स रिजेक्ट कर दी थीं। कहा था- इनकी क्वॉलिटी और फायर पावर इफेक्टिव नहीं है।माना जा रहा है कि आर्मी की फौरन जरूरत को देखते हुए अगले कुछ महीनों में राइफल खरीद पर आखिरी फैसला ले लिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, देश में बनी राइफलों में कई दिक्कतें थीं और इनको नए सिरे से बनाए जाने की जरूरत है।
आर्मी ने पिछले साल भी देश में बनी 5.56 mm Excalibur guns को रिजेक्ट करते हुए कहा था कि इनकी क्वॉलिटी अच्छी नहीं है।अब सेना की तरफ से कहा गया है कि उसे 7.62×51 mm guns चाहिए जो 500 मीटर तक सटीक निशाना लगा सकें। ये भी कहा गया है कि ये राइफलें लाइट वेट यानी हल्की हों। इसके अलावा भी कुछ डिमांड्स बताई गई हैं।