बिपिन रावत दो दिन की विजिट पर लेह-लद्दाख क्षेत्र पहुंचे। लद्दाख रीजन की उनकी ये विजिट इसलिए खास है क्योंकि इंडिपेंडेंस डे यानी 15 अगस्त को लद्दाख की है पेंगोंग लेक के पास भारत और चीन के सैनिकों की झड़प हुई थी। रावत कुछ फॉरवर्ड पोस्ट्स का दौरा भी कर सकते हैं। खास बात ये है कि प्रेसिडेंट रामनाथ कोविंद भी लेह आ रहे हैं। यहां वो एक प्रोग्राम में शिरकत करेंगे।
आर्मी चीफ भी इसमें शामिल होंगे। 15 अगस्त को जब देश आजादी की 71वीं वर्षगांठ मना रहा था, तब चीन के सैनिकों ने लद्दाख में घुसपैठ की कोशिश की थी।चीन और भारत के सैनिकों के बीच धक्का-मुक्की और पत्थरबाजी हुई थी। भारतीय सैनिकों ने चीन के सैनिकों को उनकी सीमा में वापस खदेड़ दिया था।
फॉरेन मिनिस्ट्री ने भी शुक्रवार को माना था कि लद्दाख में कोई घटना जरूर हुई थी। हालांकि, उसने ये साफ नहीं किया था कि दोनों देशों के सैनिकों के बीच किसी तरह की हाथापाई या पत्थरबाजी हुई थी।जनरल रावत इस विजिट के दौरान लद्दाख के कुछ फाॅरवर्ड पोस्ट्स का भी दौरा करेंगे। इस दौरान वो यहां तैनात आला अफसरों के साथ अलग से एक मीटिंग भी करेंगे।
जनरल रावत यहां मौजूद सैनिकों से भी बातचीत करेंगे।प्रेसिडेंट रामनाथ कोविंद सोमवार को लेह विजिट पर जा रहे हैं। यहां वो सैनिकों से मुलाकात करेंगे।कोविंद यहां लद्दाख स्काउट्स की सभी पांचों बटालियनों एवं लद्दाख स्काउट्स रेजिमेंटल सेंटर के प्रोग्राम में हिस्सा लेंगे और लद्दाख स्काउट्स की पांच बटालियनों को कलर्स भी प्रदान करेंगे। प्रेसिडेंट महाबोधि इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर भी जाएंगे।
प्रेसिडेंट कलर्स सेना की ऐसी बटालियनों को प्रदान किए जाते हैं, जिन्होंने युद्ध के मैदान में वीरता की मिसाल कायम की हो। लंबी प्रॉसेस के बाद ऐसी बटालियन चुनी जाती हैं, जो देश के लिए कुर्बानियां देने में आगे रही हों।खास बात ये है कि लद्दाख स्काउट्स पहले सेना की परमानेंट यूनिट नहीं थीं, लेकिन कारगिल युद्ध जीतने में इन यूनिटों के सैनिकों ने जबरदस्त बहादुरी दिखाई थी। इसके बाद 2001 में इन्हें भारतीय सेना का हिस्सा बना दिया गया।लद्दाख में 15 अगस्त को चीनी घुसपैठ को भी इसी यूनिट ने नाकाम किया था।