विजय माल्या को ब्रिटेन में अरेस्ट कर लिया गया। स्कॉटलैंड यार्ड ने उसे वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने गिरफ्तारी के तीन घंटे बाद ही माल्या को 4.5 करोड़ रुपए के बॉन्ड और पासपोर्ट जमा करने की शर्त पर जमानत दी। बता दें कि माल्या पर 17 बैंकों के 9,432 करोड़ रुपए बकाया हैं। गिरफ्तारी से बचने के लिए वे पिछले साल 2 मार्च को देश छोड़कर भाग गए थे।
भारत ने इस साल 8 फरवरी को ब्रिटेन से उसके एक्स्ट्राडीशन (प्रत्यर्पण) की रिक्वेस्ट की थी। यह अपील मार्च में मजिस्ट्रेट कोर्ट को भेज दी गई थी। सीबीआई इसे बड़ी कामयाबी मान रही है। सीबीआई की एक टीम जल्द ही ब्रिटेन भी जा सकती है।ब्रिटेन की एक्स्ट्राडीशन प्रोसेस काफी उलझी हुई है। ब्रिटिश कानूनों के तहत अगर किसी शख्स की ब्रिटेन में संपत्ति है तो वह वहां बिना पासपोर्ट के भी रह सकता है। ऐसे में उसे भारत लाना आसान नहीं है। भारत को इन 7 फेज से गुजरना पड़ सकता है।
अब सीबीआई को ब्रिटिश कोर्ट में साबित करना होगा कि माल्या पर लगे आरोप ब्रिटेन के कानून के तहत भी अपराध हैं।अगर आरोप साबित होते हैं तो ब्रिटिश कोर्ट उसके एक्स्ट्राडीशन का ऑर्डर दे सकता है।अगर जांच एजेंसियां आरोप साबित नहीं कर सकीं तो एक्स्ट्राडीशन की उम्मीदों को झटका लग सकता है।एक्स्ट्राडीशन सुनवाई के बाद आखिरी फैसला फॉरेन मिनिस्ट्री को करना होता है।
माल्या के पास मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को हायर कोर्ट में चुनौती देने का हक होगा।लंदन कोर्ट यह भी तय करेगी कि क्या माल्या का एक्स्ट्राडीशन उनके ह्यूमन राइट्स का वॉयलेशन तो नहीं करता।ऐेसे में माल्या को भारत लाने में भारतीय एजेंसी को कम से कम 10 से 12 महीने का समय लग सकता है।भारत ने माल्या के एक्स्ट्राडीशन के लिए फरवरी में ही यूके हाईकमीशन को एप्लीकेशन भेजी थी।
सरकार ने कहा था कि माल्या के खिलाफ लोन डिफॉल्ट के आरोपों में कई केस चल रहे हैं। ब्रिटिश मीडिया के मुताबिक लार्ड मेघनाद देसाई ने कहा कि पिछले महीने इंडो यूके कल्चरल ईयर के इनॉगरेशन के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ब्रिटिश विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन से बात की थी। माल्या पर हुई कार्रवाई इन्हीं कोशिशों को नतीजा है।
पूर्व डिप्लोमैट नरेश चंद्रा के मुताबिक ब्रिटिश कोर्ट में सबसे पहले भारत सरकार को यह साबित करना होगा कि माल्या पर ब्रिटेन में केस चलाया जा सकता है। इसके लिए उसे बहुत स्ट्रॉन्ग सबूत पेश करने होंगे। अगर सबूत स्ट्रॉन्ग होते हैं, तो कोर्ट का फैसला भारत सरकार के पक्ष में जा सकता है।
-हालांकि, इसमें सुप्रीम कोर्ट तक सुनवाई होगी। उसके बाद होम सेक्रेटरी के पास मामला जाएगा। अगर वो भारत सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हैं, तब कहीं जाकर माल्या को भारत लाया जा सकेगा। आमतौर इस प्रोसेस में 2 से 3 साल तक लग जाते हैं।सीनियर एडवोकेट केटीएस तुलसी का मानना है कि भारत सरकार ब्रिटेन को माल्या के खिलाफ सबूत भेज चुकी है।
यूके की कोर्ट इन सबूतों की अपने स्तर पर जांच करेगी। वह ये भी तय करेगी कि क्या यह सबूत प्रत्यर्पण के लिए काफी हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि शराब कारोबारी का गिरफ्तार होना और दोपहर तक उन्हें जमानत मिल जाने से ये साफ है कि माल्या को भारत लाना आसान नहीं होगा।तुलसी ने कहा कि जब भी प्रत्यर्पण की कोई अपील की जाती है, तो अक्सर जमानत 60 दिनों बाद दी जाती है, लेकिन माल्या के मामले में ऐसा नहीं हुआ।
इससे पहले 50 से ज्यादा प्रत्यर्पण की रिक्वेस्ट यूके भेजी गई थी, लेकिन इसमें से सिर्फ एक को ही मंजूरी मिली थी।सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने भी तुलसी की बात से सहमति जताते हुए कहा कि ब्रिटेन की अदालतें स्वतंत्र होती हैं और ये आसानी से प्रत्यर्पण की इजाजत नहीं देतीं।
31 जनवरी 2014 तक किंगफिशर एयरलाइंस पर बैंकों के 6,963 करोड़ रुपए बकाया था। इस कर्ज पर इंटरेस्ट के बाद माल्या की टोटल लाइबिलिटी 9,432 करोड़ रुपए से ज्यादा हो चुकी है।किंगफिशर एयरलाइंस अक्टूबर 2012 में बंद हो गई थी। दिसंबर 2014 में इसका फ्लाइंग परमिट भी कैंसल कर दिया गया।