निर्वाचन आयोग 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले नौ लाख से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को उन्नत एम3 मशीन से बदल देगा। सरकार ने यह जानकारी संसद में दी। ये मशीनें किसी तरह की छेड़छाड़ का प्रयास करने पर निष्क्रिय हो जाएंगी। नए ईवीएम के 2018 के अंत तक लाए जाने की संभावना है।यह कदम फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव में कई राजनीतिक नेताओं द्वारा ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाए जाने के मद्देनजर उठाया गया है।
इस हफ्ते की शुरुआत में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में कानून एवं न्याय राज्य मंत्री पी.पी. चौधरी ने कहा कि एम3 ईवीएम प्रौद्योगिकी तौर पर उन्नत हैं। इनमें और दूसरे ईवीएम के संचालन में कोई अंतर नहीं है। इससे बूथ प्रबंधन प्रणाली प्रभावित नहीं होती है।
मंत्री ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने 2006 से पहले खरीदी गई 9,30,430 ईवीएम मशीनों को चरणबद्ध तरीके से 2019 के आम चुनाव और साथ में विधानसभा चुनाव से पहले बदलने का फैसला किया है।
नई एम3 ईवीएम मशीनों की विशेषताओं को बताते हुए मंत्री ने कहा कि इसमें एक पब्लिक की इंटरफेस (पीकेआई) है, जो वास्तविक इकाई की पहचान करने के लिए विभिन्न ईवीएम इकाइयों के बीच आपसी प्रमाणीकरण पर आधारित है।मंत्री ने कहा इसकी डिजाइन यह सुनिश्चित करती है कि ईवीएम को खोलने के प्रयास से यह निष्क्रिय हो जाए।
निर्वाचन आयोग के अनुसार, कथित मशीनों की खरीद करने के लिए कर, ड्यूटी और माल शुल्क को छोड़कर करीब 1,940 करोड़ रुपये की जरूरत होगी।राज्यसभा में एक अन्य जवाब में बीते सप्ताह चौधरी ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने सरकार को सूचित किया है कि आयोग ने 2014-15,2015-16 और 2016-17 के दौरान किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मशीन की खरीदारी नहीं की।उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने आरोप लगाया कि ईवीएम को भाजपा के पक्ष में मैनेज किया गया था।