नेपाल और भारत ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गौतम बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी की एक दिवसीय यात्रा के दौरान छह समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।इस यात्रा का एक प्रमुख हासिल दोनों पड़ोसी देशों के बीच अरुण -4 जलविद्युत परियोजना का संयुक्त विकास है।भारत का सतलुज जल विद्युत निगम और नेपाल विद्युत प्राधिकरण संयुक्त रूप से उस परियोजना का विकास करेंगे जिसकी स्थापित क्षमता 695 मेगावाट है।
एसजेवीएन वर्तमान में उसी नदी में अरुण-तृतीय जलविद्युत परियोजना विकसित कर रहा है जिसकी उत्पादन क्षमता 800 मेगावाट है।एनईए के प्रबंध निदेशक कुलमन घीसिंग और एसजेवीएन के अध्यक्ष नंदलाल शर्मा ने संबंधित पक्षों पर समझौते पर हस्ताक्षर किए।इसके साथ अब दोनों पक्ष एक संयुक्त उद्यम कंपनी स्थापित करेंगे जहां एसजेवी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रखेगी, जबकि एनईए के पास समझौते के अनुसार 49 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी।
परियोजना पूरी होने के बाद नेपाल को 21.9 प्रतिशत मुफ्त ऊर्जा मिलेगी।इस परियोजना को विकसित करने में लगभग 750 मिलियन डॉलर खर्च होंगे।दोनों पक्षों ने बौद्ध अध्ययन के लिए डॉ. अम्बेडकर पीठ की स्थापना पर भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए।
इसी तरह आईसीसीआर और सेंटर फॉर नेपाल एंड एशियन स्टडीज त्रिभुवन विश्वविद्यालय ने सीएनएएस में आईसीसीआर चेयर ऑफ इंडियन स्टडीज की स्थापना पर एक और समझौते पर हस्ताक्षर किए।इसी तरह आईसीसीआर और काठमांडू विश्वविद्यालय ने भी बाद में आईसीसीआर चेयर ऑफ इंडियन स्टडीज की स्थापना पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
केयू और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास ने शिक्षा क्षेत्र में सहयोग पर एक और समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जबकि मास्टर स्तर पर एक संयुक्त डिग्री कार्यक्रम के लिए दोनों के बीच एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे।मोदी और उनके नेपाली समकक्ष शेर बहादुर देउबा के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।